लखनऊ:सफर के पहरेदारों के कंधों पर जैसे ही स्टार सजे, वे खुशी से झूम उठे. विश्व की सबसे बड़ी रेल सेवा को सुगम और सुरक्षित बनाने की जिम्मेदारी अब इन युवाओं के भी कंधों पर होगी. करीब 10 महीने की कड़ी ट्रेनिंग के बाद अब ये जवान सेवा के लिए तैयार हो गए हैं.
जानकारी देते कैडेट्स और अधिकारी. दीक्षांत परेड की सलामी के बाद सभी कैडेट्स ने अपने उस्ताद से आशीर्वाद लिया. दरअसल, बात हो रही है कि केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान जगजीवन राम रेलवे सुरक्षा बल अकादमी की, जहां शुक्रवार को प्रशिक्षण पूरा होने के बाद संघ लोक सेवा आयोग से चयनित कैडेट्स का संयुक्त दीक्षांत परेड समारोह आयोजित किया गया. वहीं 7 सहायक सुरक्षा आयुक्त/ प्रोबेशनर और आरपीएफ से चयनित 178 उपनिरीक्षक कैडेट्स ने समारोह में मुख्य अतिथि आरपीएफ महानिदेशक अरुण कुमार को दीक्षांत परेड की सलामी दी. इस दौरान शहंशाह केएस को सर्वश्रेष्ठ प्रोबेशनर, उदय शुक्ला को बेस्ट प्रोबेशनर, आभास चंद्र सिंह को सर्वश्रेष्ठ कैडेट और मोहम्मद हनीफ को परेड कमांडर के रूप में परेड कमांड करने के लिए मेडल और प्रमाण पत्र दिया गया.
ट्रेनिंग का अच्छा रहा अनुभव
उप निरीक्षक आभाष चंद्र सिंह ने बताया कि 10 महीने की इनडोर-आउटडोर ट्रेनिंग हुई है. इसके बाद हमें पता चला कि आखिर आरपीएफ क्या होता है? अब हम रेलवे की सुरक्षा और यात्रियों की सुरक्षा के लिए पूरी तरीक से कर्तव्यनिष्ठ रहेंगे. आभाष चंद्र सिंह ने बताया कि ट्रेनिंग का अनुभव बहुत ही अच्छा रहा. इससे हमें अपने करियर में ग्रोथ करने में सहायता मिलेगी.
कैडेट्स का रहा बड़ा योगदान
अनुदेशक शत्रुघ्न कुमार ने बताया कि सबसे पहले सभी कैडेट्स बधाई के पात्र हैं. ये लोग यहां सिविलियन के तौर पर यहां आए थे. इनको सही से चलना नहीं आता था लेकिन, 10 महीनों के अथक प्रयास के बाद हम लोग अनुदेशक, इनडोर-आउटडोर फैकेल्टी के साथ-साथ सबसे बड़ा योगदान इन कैडेट्स का रहा है. इनके अथक परिश्रम से इन्हें ये सफलता मिली है.
178 उप निरीक्षकों ने किया पास आउट
आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने बताया कि आरपीएफ में पिछले साल कई लोगों की भर्तियां हुई थीं. इसमें सब इंस्पेक्टर और कांस्टेबल भी शामिल थे. वहीं सब इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग तीन जगह हो रही है, जो कि लखनऊ, हैदराबाद और खड़गपुर में चल रही थी, इसमें करीब 178 उप निरीक्षकों ने पास आउट किया है.