लखनऊ: अयोध्या के गोसाईगंज विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित भारतीय जनता पार्टी के विधायक इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी की विधानसभा सदस्य रद्द कर दी गई है. न्यायालय से फर्जी मार्कशीट के 29 साल पुराने मामले में सजायाफ्ता भाजपा विधायक खब्बू तिवारी की विधानसभा सदस्यता समाप्त किए जाने की जानकारी विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने दी है. विधान सभा सचिवालय की तरफ से विधायक खब्बू तिवारी की विधानसभा सदस्यता रद्द किए जाने का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है.
जानकारी के अनुसार, अक्टूबर महीने की 18 तारीख को 29 साल पुराने फर्जी मार्कशीट मामले में एमपी एमएलए की अयोध्या कोर्ट ने विधायक इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी को दोषी करार देते हुए 5 साल कारावास की सजा सुनाई थी. जिसके बाद कोर्ट से विधानसभा सचिवालय को नोटिफिकेशन भेजा गया था. विधान सभा सचिवालय को कोर्ट का आदेश मिलने के बाद विधायक खब्बू तिवारी की विधानसभा सदस्यता निरस्त करने का भी नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. एमपी-एमएलए कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अयोध्या के साकेत महाविद्यालय में अंकपत्र और अन्य दस्तावेजों के माध्यम से फर्जीवाड़ा किया गया था. जिसके बाद इन्हें 5 साल कारावास की सजा सुनाई गई थी.
सजायाफ्ता भाजपा विधायक खब्बू तिवारी की विधानसभा सदस्यता रद्द, नोटिफिकेशन जारी - विधायक इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी
अक्टूबर महीने की 18 तारीख को 29 साल पुराने फर्जी मार्कशीट मामले में एमपी एमएलए की अयोध्या कोर्ट ने विधायक इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी को दोषी करार देते हुए 5 साल कारावास की सजा सुनाई थी. जिसके बाद कोर्ट से विधानसभा सचिवालय को नोटिफिकेशन भेजा गया था. विधान सभा सचिवालय को कोर्ट का आदेश मिलने के बाद विधायक खब्बू तिवारी की विधानसभा सदस्यता निरस्त करने का भी नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है.
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सजा सुनाए जाने के बाद भाजपा विधायक इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी को कोर्ट ने जेल भेज दिया था और अपने आदेश की एक प्रति विधानसभा सचिवालय भेजी थी. जिसके बाद विधानसभा सचिवालय की तरफ से विधानसभा सदस्यता निरस्त किए जाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. वहीं दूसरी तरफ यह भारतीय जनता पार्टी के लिए भी एक झटका है. पार्टी विद डिफरेंस की बात करने वाले बीजेपी के विधायक को अक्टूबर महीने में 5 साल की कारावास की सजा सुनाई गई थी. जिन पर यह आरोप साबित हुआ कि उन्होंने फर्जी मार्कशीट बनाने का काम किया था. उसी न्यायालय के आदेश के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता भी समाप्त कर दी गई है.
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