लखनऊ : मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अंतर्गत आने वाले 19 जिलों के पांच दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया (fired from job) है. उनकी संविदा खत्म कर दी गई (contract terminated) है. अब इसे लेकर बिजली विभाग के संगठन और प्रबंधन के बीच खींचतान शुरू हो गई है. संगठन का आरोप है कि कर्मचारियों को हटाने और रखने में प्रबंधन ठेकेदार के साथ मिलकर धन उगाही करता है. झूठे आरोप लगाकर संविदा कर्मियों को हटाया जा रहा है. इसे लेकर संगठन सड़क पर उतरकर मध्यांचल के अधिकारियों की पोल खोलेगा.
पिछले माह लखनऊ के रहीमनगर उपखंड के अंतर्गत अधिशासी अभियंता ने एक संविदा कर्मचारी को अपने उपभोक्ता मित्र के घर पर बुलाकर मारपीट की थी. इसके बाद उसे नौकरी से भी हटा दिया था. इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था, लेकिन संगठन की लाख कोशिशों के बावजूद बिजली विभाग ने उस कर्मचारी को नौकरी पर नहीं बुलाया और अब नोटिस के बाद उसकी संविदा समाप्त कर दी.
ऐसे ही तमाम आरोपों के साथ मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अंतर्गत 19 जिलों के कुल 63 कर्मचारियों को नौकरी से हटाया गया है. इनमें अयोध्या, उन्नाव, बलरामपुर, बरेली, लखीमपुर, गोंडा, पीलीभीत, रायबरेली, लखनऊ, हरदोई और संडीला क्षेत्र के कर्मचारी हैं. इन सभी की संविदा समाप्त करने की सूची भी विभाग की तरफ से जारी कर दी गई है. इन संविदाकर्मियों में तीन लखनऊ विद्युत संपूर्ति प्रशासन यानी लेसा के अंतर्गत अलग अलग उपकेंद्रों पर नौकरी कर रहे थे. रहीमनगर उपखंड पर संविदा पर तैनात दो संविदाकर्मियो अखिलेश कुमार सिंह और हरिशंकर की संविदा समाप्त कर दी गई. इसके अलावा ऐशबाग उपकेंद्र पर तैनात संविदाकर्मी मोइन को भी नौकरी से हटा दिया गया.
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेंद्र कुमार पांडेय (State General Secretary of Uttar Pradesh Power Corporation Tender / Contract Employees Union Devendra Kumar Pandey) ने कर्मचारियों को हटाए जाने को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. उन्होंने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड प्रबंधन को आगामी 22 नवंबर को बड़े आंदोलन की नोटिस सौंपी है. नोटिस में हटाए गए संविदा कर्मचारियों की सूची भी दी गई है. पांडेय का आरोप है कि संविदाकर्मियों की नौकरी महज इसलिए छीनी जा रही है, जिससे भ्रष्ट अधिकारियों की नौकरी सुरक्षित रखी जा सके. गलतियां अधिकारी करते हैं, लेकिन नौकरी से कर्मचारियों को हटाया जाता है.
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