लखनऊ/हमीरपुर/मिर्जापुर/गोरखपुर/अयोध्या : बढ़ते सड़क हादसों पर नकेल कसने के लिए नया भारतीय संहिता कानून 2023 आया है. इस कानून के तहत हादसे में शामिल चालकों के लिए 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है जो परिवहन उद्योग को खतरे में डालने जैसा है. चालक इस कानून का विरोध कर रहे हैं. सोमवार सुबह से ही लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के सभी बस स्टेशनों पर ड्राइवरों ने बसों की हड़ताल कर दी. एक भी बस स्टेशन से बाहर नहीं निकलने दी. बसों का संचालन पूरी तरह ठप हो गया. इससे नए साल के पहले ही दिन यात्रियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. फिलहाल सुबह से शुरू हुई हड़ताल अभी भी जारी है. रोडवेज बसों के अलावा ऑटो और ट्रक चालकों की भी हड़ताल है. इससे शहर के अंदर भी यात्रियों को आवागमन में असुविधा हो रही है. सिटी बसों का भी संचालन ठप है.
चालकों ने बस को रास्ते में ही खड़ा कर दिया :सरकार जो नया कानून ला रही है चालकों को उस कानून से आपत्ति है. लिहाजा, देश भर में चालक हड़ताल पर चले गए हैं. रोडवेज बसों की भी हड़ताल शुरू हो गई है. लखनऊ समेत प्रदेश के किसी भी बस स्टेशन से चालक बस संचालित नहीं कर रहे हैं. लखनऊ के कैसरबाग, चारबाग, आलमबाग और अवध बस स्टेशनों से एक भी बस रूट पर रवाना नहीं हुई. चारबाग में कुछ बसें संचालित करने का प्रयास परिवहन निगम के अधिकारियों ने किया, लेकिन ज्यादा देर तक नहीं चल पाया. हड़ताल पर गए चालकों ने इन बसों को भी रास्ते में ही रोक लिया. कैसरबाग बस स्टेशन से उप नगरीय डिपो की एक बस रूट के लिए रवाना की गई, लेकिन विरोध कर रहे चालकों ने इस बस को रास्ते में ही खड़ा कर दिया. इसी तरह जहां भी प्रशासन ने बसों के संचालन का प्रयास किया वहां पर चालकों ने रोक लगा दी. लिहाजा, बसों का संचालन पूरी तरह ठप है और यात्री साधनों के अभाव में इधर-उधर भटक रहे हैं. लखनऊ रीजन की बात की जाए तो यहां से हजारों बसों का संचालन ठप है. इनमें साधारण और एसी बसें शामिल हैं. चारबाग, कैसरबाग और अवध बस स्टेशन से साधारण तो आलमबाग स्टेशन से एसी बसों का संचालन होता है.
परिवहन निगम को हुआ कई करोड़ का नुकसान :बसों का संचालन पूरी तरह ठप होने से उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को कई करोड़ के नुकसान का अनुमान है. लखनऊ रीजन को भी बस संचालन ठप होने से लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. हर रोज उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों में तकरीबन 16 लाख यात्री सफर करते हैं. उन्हें पहले ही दिन सफर में दिक्कत हो रही है.
63 बसें रूट के लिए रवाना की गईं :लखनऊ रीजन के क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी ने बताया कि 'नए कानून के विरोध में रोडवेज की अनुबंधित और निजी बसों के चालकों ने हड़ताल की है. चालक विरोध प्रदर्शन कर नए कानून का विरोध कर रहे हैं. चालकों का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होगा तब तक हड़ताल जारी रहेगी. उन्हें मनाने का प्रयास किया जा रहा है. सुबह बस स्टेशनों से कुल 63 बसें रूट के लिए रवाना की गईं जिसमें से 48 परिवहन निगम की बसे हैं तो 15 अनुबंधित बसें. हालांकि अब बसों का संचालन पूरी तरह ठप है.'
रोडवेज को करोड़ों का नुकसान :लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के चालकों की हड़ताल का बड़ा असर पड़ रहा है. बसों का संचालन ठप होने से रोडवेज को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है तो यात्रियों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. "ईटीवी भारत" ने लखनऊ के चारबाग बस स्टेशन पर यात्रियों से बात की. किसी को प्रतापगढ़ जाना है किसी को बहराइच तो किसी को गोरखपुर. सवेरे से ही कड़कड़ाती सर्दी में बस स्टेशन पर बस पकड़ने के लिए पहुंचे लेकिन यहां पता चला कि बस जाएगी ही नहीं. वजह चालकों की हड़ताल. अधिकारियों से बस चलाने के लिए अनुरोध किया लेकिन अधिकारी सांत्वना तो देते रहे पर बस स्टेशन से बाहर बस नहीं भेज पाए. इससे यात्री मायूस होकर वापस अपने घरों को भी लौट गए. आलमबाग बस स्टेशन से दिल्ली नोएडा की तरफ तो कई बसें संचालित भी हुईं, लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश जाने वाले यात्रियों को बस संचालित नहीं होने से काफी दिक्कत हुई.
सिटी बसों का संचालन ठप रहा :यूपीएसआरटीसी की बसों का तो संचालन हुआ नहीं, शहर के अंदर भी सिटी बसों का संचालन ठप रहा. जिन चालकों ने बस संचालन का प्रयास किया उन्हें अन्य चालकों ने जबरदस्ती रोक दिया. तमाम स्थानों पर चालकों से अभद्रता भी की गई. रेडियो टैक्सी चालकों तक को विरोध करने वाले चालकों ने नहीं छोड़ा. बस स्टेशनों समेत शहर के तमाम स्थानों पर चालक बदसलूकी करते रहे और पुलिस मूकदर्शक बनी रही.