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...तो इन वजहों से खतरे में है तालाब और नदियों का अस्तित्व - up government

सरकारों की उदासीनता और मानव की बदलती जीवन शैली से जलस्तर लगातार घट रही है. यही वजह है कि आगरा गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, कानपुर, लखनऊ समेत सभी बड़े शहरों में नदियों का अस्तित्व खतरे में हैं.

खतरे में है तालाबों और नदियों का अस्तित्व

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Published : Jul 10, 2019, 10:28 AM IST

लखनऊ: प्रदेश के 35 जिलों में तेजी से गिरते भूगर्भ जलस्तर का संबंध नदियों, तालाबों और झीलों के सूखने से है. जमीन की ऊपरी सतह पर मौजूद जलस्तर जैसे- जैसे गिरता गया. इसी के चलते लोगों ने भूगर्भ जल का दोहन तेज कर दिया. इन्हीं शहरों में भूगर्भ जलस्तर तेजी से घट रहा है, जहां नदियां और तालाब समाप्त हो चुके हैं.

देंखे रिपोर्ट.

अंधाधुंध हो रहा जल दोहन

  • मानव की बदलती जीवन शैली ने जहां तालाब और नदियों की उपयोगिता घटाई.
  • वहीं सरकारों की उदासीनता से नदियों को फैक्ट्री की गंदगी के नालों में तब्दील कर दिया गया.
  • यही वजह है कि आगरा गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, कानपुर, लखनऊ समेत सभी बड़े शहरों में नदियों का अस्तित्व खतरे में हैं.
  • भूगर्भ में जल का तेजी से गिरता स्तर साफ बयां कर रहा है कि इन शहरों में भूगर्भ जल का दोहन अंधाधुंध किया जा रहा है.

भूगर्भ जल के अति दोहन को इस तरह भी समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में पिछले सालों में भूगर्भ जलस्तर की औसत गिरावट दर 3 फुट से भी ज्यादा रही है.

  • नोएडा- 115 सेमी
  • गाजियाबाद- 90 सेमी
  • लखनऊ- 85 सेमी
  • कानपुर- 72 सेमी
  • आगरा- 70 सेमी
  • मेरठ- 65 सेमी


तीन दशक पहले कच्ची मिट्टी के घर हुआ करते थे. कच्चे घरों की मरम्मत के लिए तालाबों से मिट्टी निकाली जाती थी. पक्की ईंट के मकान बने तो तालाब भी अनुपयोगी बन गए. नदियों में उद्योगों का अपशिष्ट डाला जाने लगा, लिहाजा भूतल पर मौजूद पानी लोगों के लिए उपयोगी नहीं रहा. लोगों ने तेजी के साथ भूगर्भ जल का दोहन शुरू कर दिया. इन्हीं कारणों से पिछले 3 दशकों से प्रदेश में जमीन के नीचे मौजूद पानी की तीसरी परत भी सूख चुकी है.
-वीके उपाध्याय, निदेशक, भूगर्भ जल विभाग, उत्तर प्रदेश

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