Smart Meter की जिन सुविधाओं से उपभोक्ता हैं अनजान, इस वीडियो से बढ़ाएं अपना ज्ञान
उत्तर प्रदेश पाॅवर काॅरपोरेशन ने बिजली उपभोक्ताओं के घर में स्मार्ट मीटर लगाए हैं. इन मीटरों को लेकर उपभोक्ताओं के बीच में काफी गलतफहमियां हैं. इसे लेकर पाॅवर काॅरपोरेशन ने स्मार्ट मीटर की सुविधाओं (Smart Meter Facilities) और खासियत के बारे में वीडियो के जरिए जानकारी साझा की है. देखें विस्तृत खबर.
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के जिन उपभोक्ताओं के घर में स्मार्ट मीटर लगा है. उन्हें हर वक्त ज्यादा बिल की चिंता सताती रहती है. तमाम उपभोक्ता पाॅवर कॉरपोरेशन से स्मार्ट मीटर तेज चलने की शिकायत भी करते हैं. चेक मीटर लगाने की मांग की जाती है. ऐसे में पाॅवर काॅरपोरेशन ने उपभोक्ताओं के लिए एक वीडियो जारी किया है. जिसमें उपभोक्ता अपने मीटर से संबंधित सारी जानकारी घर बैठे ही हासिल कर सकते हैं. फिर उनकी हर तरह की भ्रांति दूर हो सकती है. "ईटीवी भारत" अपने दर्शकों के लिए यूपीपीसीएल की तरफ से जारी इस वीडियो को प्रसारित कर रहा है. जिसे देखकर वे अपने घर का स्मार्ट मीटर चेक कर सकते हैं.
जानें लोड बढ़ाने की बात.
यूपीपीसीएल कंज्यूमर एप
क्या आपको पता है कि आपके स्मार्ट मीटर में कितनी बार फ्लैश ब्लिंक करने पर एक यूनिट काउंट होती है? शायद यह बहुत कम उपभोक्ताओं को ही पता होगा. इस वीडियो में बताया गया है कि जब 3200 बार स्मार्ट मीटर का फ्लैश ब्लिंक करता है तब एक यूनिट काउंट होती है. इसके अलावा मीटर के खराब हो जाने पर अगर विभाग की तरफ से नया मीटर लगाने के लिए उपभोक्ता से कर्मचारी शुल्क की मांग करता है तो यह बिल्कुल सही नहीं है. मीटर पर बाकायदा मैन्युफैक्चरिंग डेट से लेकर वारंटी का टाइम लिखा होता है. अगर उस अवधि के अंदर मीटर में कोई खराबी आती है तो बिना किसी शुल्क के बदला जाता है.
बिजली दरें.
यह बात जरूर है कि अगर मीटर फुंक गया है, ज्यादा लोड की वजह से मीटर खराब हुआ है तो फिर उपभोक्ता को भुगतान कर नया मीटर लगवाना होगा. वीडियो में ये भी दर्शाया गया है कि किस तरह से उपभोक्ता अपने घर का लोड चेक कर सकते हैं. एसी चालू होने पर मीटर कितनी तेज भागता है और उस वक्त लोड कितना होता है और पंखा चलने पर या फिर सिर्फ बल्ब या ट्यूबलाइट जलने पर कितना लोड ले रहा है. यह सब मीटर में दर्ज होता है. सिर्फ यही नहीं पिछले छह माह की रीडिंग भी मीटर अपने पास सुरक्षित रखता है. इसे भी इस वीडियो के जरिए देखा और समझा जा सकता है. यूपीपीसीएल की तरफ से इस वीडियो में तकनीकी से जुड़ी हर बात को अच्छे ढंग से समझाया गया है जिससे उपभोक्ता को किसी तरह का कोई कंफ्यूजन न रह जाए.
नई संशोधित कॉस्ट डाटा बुक में 16 केवीए थ्री फेज और 10 केवीए सिंगल फेज ट्रांसफार्मर की नई व्यवस्था होगी. इससे किसानों व छोटे विद्युत उपभोक्ताओं को न चाह कर भी 25 केवीए का ही ट्रांसफार्मर लगाने से अब निजात मिल जाएगी. 12 किलोवाट नए कनेक्शन व 12 हॉर्स पावर तक के नए निजी नलकूप पर 16 केवीए ट्रांसफार्मर से भी काम चल जाएगा. इससे उन्हें बेवजह ज्यादा पैसे खर्च करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. अभी तक हरहाल में 25 केवीए का ही ट्रांसफार्मर लेना पड़ता था.
अवधेश कुमार वर्मा.
उत्तर प्रदेश में नई कॉस्ट डाटा बुक को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. कई बदलाव किए जा रहे हैं. इसमें एक महत्वपूर्ण फैसला उपभोक्ताओं और किसानों के हक का भी है. अब तक किसानों और छोटे उपभोक्ताओं को नया बिजली कनेक्शन को हरहाल में मिनिमम 25 केवीए का ट्रांसफार्मर लगाना पडता था, अब 10 केवीए सिंगल फेज, 16 केवीए थ्री फेज और 25 केवीए के ऊपर अलग-अलग कैपेसिटी में ट्रांसफार्मर लगवाने की व्यवस्था होगी. अभी तक जो 10 व 16 केवीए थ्री फेज नहीं था, वह नई कॉस्ट डाटा बुक में नई व्यवस्था के रूप में उपभोक्ताओं के लिए सुविधाजनक बनेगा. अभी तक अगर कोई पांच हॉर्स पावर, 10 हॉर्स पावर या 12 किलोवाट तक का नया बिजली कनेक्शन व निजी नलकूप का कनेक्शन लेता था और उसके एस्टीमेट में ट्रांसफार्मर की आवश्यकता होती थी तो उसे न चाह कर भी 25 केवीए का ट्रांसफार्मर लगाना पडता था, लेकिन अब 16 केवीए भी थ्री फेज में आ गया है. इससे काफी राहत मिलेगी.
बिजली कनेक्शन का इस्टीमेट बनाने में मनमानी.
पाॅवर काॅरपोरेशन ने संशोधित कॉस्ट डाटा बुक का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में तीन दिन पहले दाखिल कर दिया है. काॅरपोरेशन ने जो छोटे व बडे़ उद्योगों के लिए नए कनेक्शन की दरों में विद्युत उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी राशि में 50 से 100 प्रतिशत से भी ज्यादा की बढ़ोतरी प्रस्तावित की थी, उसमें कहीं भी कोई बदलाव नहीं किया है. पाॅवर काॅरपोरेशन ने सभी उपभोक्ता सामग्रियों पर जीएसटी की दर शामिल करते हुए प्रस्ताव दिया है, लेकिन संशोधित कॉस्ट डाटा बुक प्रस्ताव में यह लिख दिया है कि उपभोक्ता सामग्री की दरों में जीएसटी शामिल नहीं है. बड़ी बात ये है कि इस बार भी संशोधित कॉस्ट डाटा बुक में पाॅवर काॅरपोरेशन ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरों को नहीं दिया और उसमें यह लिख दिया कि अभी दरें प्राप्त नहीं हुई हैं, जबकि सभी बिजली कंपनियों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरें सामने आ गई हैं और ज्यादातर कंपनियों में ऑर्डर भी निर्गत कर दिया गया है. ऐसे में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरों को कॉस्ट डाटा बुक में न दाखिल करना अपने में बड़ा सवाल है.
बिजली का कनेक्शन देने में उपभोक्ताओं को जूनियर इंजीनियर दे रहे टेंशन.
बिजली का कनेक्शन देने में उपभोक्ताओं को जूनियर इंजीनियर दे रहे टेंशन
बिजली विभाग के अभियंताओं पर आरोप लगता रहा है कि बिना पैसा लिए दिए कोई काम हो ही नहीं सकता. विभाग के भ्रष्ट इंजीनियर ये साबित भी कर रहे हैं. हाल ही में लखनऊ में तीन ऐसे मामले सामने आए जिनमें इंजीनियरों ने उपभोक्ताओं से एस्टीमेट के नाम पर बड़ी रकम मांग ली थी. इनमें आम उपभोक्ता से लेकर किसान तक शामिल थे. एक बड़ी कार्रवाई तो ऊर्जा मंत्री को स्वयं करनी पड़ी. इसके अलावा मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत करने पर दुबग्गा उपकेंद्र के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई और अब चिनहट के एक इंजीनियर को भी एस्टीमेट के नाम पर ही नापा गया है. इतना सब होने के बावजूद अभी भी इंजीनियरों में कोई खौफ नहीं है. बिना रिश्वत के कोई काम होना मुश्किल हो रहा है. अब ऐसे इंजीनियरों के खिलाफ बिजली विभाग सख्त रुख अपनाएगा.
केस 1
लखनऊ के चिनहट क्षेत्र के तिवारी गंज एनक्लेव फेज 3 निवासी अजीत कुमार पांडेय की शिकायत पर यूपीपीसीएल के अध्यक्ष ने अवर अभियंता को सस्पेंड किया था. उपभोक्ता ने आठ किलोवाॅट वाणिज्यिक कनेक्शन के लिए आवेदन किया था. उपकेंद्र का चक्कर लगाते थक गए, लेकिन कनेक्शन पाने में सफल नहीं हुए. कारण था कि बिना आवश्यकता के ही अवर अभियंता ने 25 केवीए ट्रांसफार्मर का एस्टीमेट थमा दिया. उपभोक्ता ने अधिकारियों से इस मामले की शिकायत की जिसके बाद विभाग की छवि खराब करने के कारण गोमतीनगर के अधीक्षण अभियन्ता ने लेसा के यूएसआईडीसी उपकेन्द्र के अवर अभियन्ता को निलम्बित कर दिया.
केस 2
ऊर्जा मंत्री ने पीड़ित उपभोक्ता से विद्युत कनेक्शन देने के लिए अवर अभियंता की तरफ से पैसा मांगने के दिए गए शिकायती पत्र और इस सम्बंध में वायरल ऑडियो का संज्ञान लेकर एमडी को अवर अभियंता के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए. ऊर्जा मंत्री के निर्देश पर अधीक्षण अभियंता विद्युत वितरण मंडल-चतुर्थ, सेस-तृतीय, सिस-गोमती ने 33/11 केवी उपकेंद्र, अमेठी के अवर अभियंता अनुपम त्रिपाठी के कनेक्शन निर्गत करने के लिए मांगे गए धन के आरोप पर प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया.
केस 3
गीता सिंह ने दुबग्गा बिजली घर से पोषित भमरौली के शाहपुर में मकान बनवाया. यहां दो किलोवाट कनेक्शन के लिए अप्रैल 2022 में आवेदन किया था. दो किलोवाट कनेक्शन का अवर अभियंता जितेंद्र मिश्रा ने 17.24 लाख एस्टीमेट बना दिया. इसकी शिकायत ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से की गई. आइजीआरएस पर भी शिकायत हुई. शिकायत करने के बाद बिजली कनेक्शन का एस्टीमेंट संशोधित करते हुए 2.24 लाख का बना दिया गया था. बिजली कनेक्शन भी हो गया था, लेकिन जांच पूरी नहीं हो सकी थी. जांच पूरी होने पर अवर अभियंता को निलंबित कर दिया गया. पूछा गया है कि आखिर यह गलत एस्टीमेट कैसे बनाया गया? एस्टीमेट में अधिशासी अभियंता और संबंधित एसडीओ के भी हस्ताक्षर थे. अब माना जा रहा है कि गलती सिर्फ अवर अभियंता की नहीं थी. एसडीओ और अधिशासी अभियंता ने भी एस्टीमेट को फाइनल करने के बाद हस्ताक्षर किए थे. इन पर भी अब निलंबन की गाज गिर सकती है.
केस 4
बक्शी का तालाब अंतर्गत न्यू कैंपस के अंर्तगत अवर अभियंता ने एक महिला जज का ही पांच लाख से ज्यादा का एस्टीमेट बना दिया. 40 मीटर से ज्यादा दूरी होने पर अवर अभियंता ने यह एस्टीमेट बनाकर तैयार कर दिया. जब शिकायत हुई तो यही एस्टीमेट घटकर पांच लाख से सिर्फ 69,000 रुपए रह गया. पैसा जमा भी हो गया, कनेक्शन नहीं दिया गया. महिला न्यायाधीश का बक्शी का तालाब इलाके के कमलापुर में मकान है. जेई के नौ गुना अधिक एस्टीमेट बनाए जाने पर अब कार्रवाई की तैयारी हो रही है.
यह मामले तो महज बानगी हैं जो लखनऊ में पिछले दो से तीन महीने के अंदर ही अवर अभियंताओं ने अंजाम दिए हैं. ऐसे ही मामले प्रदेश भर से हर रोज उत्तर प्रदेश पाॅवर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं. भ्रष्ट अवर अभियंता बिजली विभाग की छवि को धूमिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. हालांकि लगातार हो रही कार्रवाई से कुछ हद तक भ्रष्टाचार पर नियंत्रण स्थापित हुआ, लेकिन अभी भी तमाम ऐसे अभियंता है जो बिना पैसे किसी भी काम को करने में कोई दिलचस्पी नहीं लेते हैं.