बिजली विभाग के मुआवजा कानून का उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा लाभ - problems registered in electricity consumer law
बिजली कंपनियों की लापरवाही के कारण उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों में शुमार होने वाले उपभोक्ताओं को मुआवजा लाभ मिलने में देरी ही होती जा रही है. उपभोक्ताओं को इस कानून का लाभ अक्तूबर से हर हाल में मिलना शुरू हो जाना था, लेकिन दिसंबर में भी इस कानून को लागू करने पर अभी बिजली विभाग गंभीर नहीं है.
बिजली विभाग का उपभोक्ता मुआवजा कानून
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Published : Dec 7, 2020, 9:54 AM IST
लखनऊः उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां पर उपभोक्ताओं के लिए मुआवजा कानून लागू है, लेकिन असलियत में इस कानून का उपभोक्ताओं को कोई फायदा नहीं मिल रहा है. बिजली विभाग धरातल पर इस कानून को लागू करने के बजाय कागजों पर दर्ज कर दिखावे की वाहवाही लूट रहा है. उपभोक्ताओं के लाभ से संबंधित इस कानून को अगर लागू कर दिया जाए तो उपभोक्ताओं को तो काफी लाभ मिल जाए, लेकिन मुआवजा देने में ही बिजली विभाग का दिवाला ही निकल जाएगा. यही कारण है कि अक्टूबर माह से ही लागू होने वाले इस कानून को दिसंबर का पहला सप्ताह बीत जाने के बाद भी लागू नहीं किया जा सका है.
उत्तर प्रदेश विद्युत कारपोरेशन
60 दिन में मिलना चाहिए मुआवजा
बिजली कंपनियों की लापरवाही के कारण उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों में शुमार होने वाले उपभोक्ताओं को मुआवजा लाभ मिलने में देरी ही होती जा रही है. उपभोक्ताओं को इस कानून का लाभ अक्तूबर से हर हाल में मिलना शुरू हो जाना था. लेकिन दिसंबर में भी इस कानून को लागू करने पर अभी बिजली विभाग गंभीर नहीं है. उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि इस कानून को लागू करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है, लेकिन बिजली कंपनियों के कारण इसका फायदा उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है. कानून में प्रावधान है कि मुआवजा की राशि उपभोक्ताओं की बिजली दरों (एआरआर) में शामिल नहीं होगी. यह भी व्यवस्था है कि उपभोक्ताओं को अधिकतम 60 दिन में मुआवजा मिल जाना चाहिए.
बिजली विभाग के मुआवजा कानून का नहीं मिल रहा लाभ
इतना मिलेगा मुआवजा
एक वित्तीय वर्ष में फिक्स चार्ज डिमांड चार्ज 30 प्रतिशत से अधिक का मुआवजा नहीं दिया जाएगा.उदाहरण के तौर पर एक किलोवाट का उपभोक्ता अगर महीने में 100 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज देता है तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज 1200 रुपये हुआ तो उसे अधिकतम एक वित्तीय वर्ष में 360 रुपये का मुआवजा ही मिलेगा.