लखनऊ:प्रदेश की बिजली कम्पनियां पूर्व में खारिज स्लैब परिवर्तन को फिर से वर्ष 2021-22 के लिए दाखिल वार्षिक राजस्व में शामिल कर चोर दरवाजे से छोटे उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोतरी की साजिश कर रही हैं. उसके खिलाफ उपभोक्ता परिषद ने मंगलवार को विद्युत नियामक आयोग में एक लोकमहत्व जनहित प्रत्यावेदन दाखिल कर दिया. उन्होंने बिजली कंपनी की एआरआर याचिका को खारिज करने की मांग उठाई है.
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बिजली दरों में हो 25 प्रतिशत की कमी
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विधिक मुद्दा उठाया कि आयोग कम्पनियों के प्रस्ताव को खारिज कर सुओमोटो कार्रवाई शुरू करें. प्रदेश के उपभोक्ताओं का जो पैसा बिजली कम्पनियों पर निकल रहा है. उसके एवज में प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 25 प्रतिशत की कमी कर आयोग हिसाब बराबर करे. उपभोक्ता परिषद ने कुछ विधिक सवाल उठाए हैं. उससे बिजली कम्पनियों की मुश्किल बढ़ना तय है. वर्ष 2019-20 और 2020-21 में आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश के खिलाफ बिजली कम्पनियों ने नियामक आयोग में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. जो विचाराधीन है. बिना फैसला आए बिजली कम्पनियों ने पुन: अपटेल में मुकदमा दाखिल कर दिया है. जो एक संवैधानिक प्रक्रिया का खुला उल्लंघन है. दूसरी तरफ आयोग ने बिजनेस प्लान में वर्ष 2021-22 के लिए वितरण हानियां 11.08 प्रतिशत अनुमोदित कर दीं. फिर एआरआर में उसे बढ़ाकर 16.64 प्रतिशत प्रस्तावित करना आयोग के आदेश का खुला उल्लंघन है. आयोग के आदेश की अवमानना भी है.
बिजली दर बढ़ाने की साजिश
उन्होंने कहा कि तीसरा सबसे गंभीर मामला जिस स्लैब परिवर्तन को आयोग ने नकार दिया, उसी के आधार पर पुन चोर दरवाजे से बिजली दर बढ़ाने की साजिश की जा रही है. इसे आधार बनाकर उपभोक्ता परिषद ने बिजली कम्पनियों की याचिका खारिज करने की मांग कर दी है.