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शहीद पथ को एयरपोर्ट से जोड़ने वाले एलीवेटेड पुल का निर्माण पड़ा धीमा

उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम का फ्लाई ओवर जो कि एयरपोर्ट जाने वाले शहरियों और पूर्वांचल एक्सप्रेस की तरफ से आने वाले लोगों के लिए जाम से निजात दिलाने वाले रास्ते का विकल्प  बनेगा, उसके लिए अभी भी आम जनता को लगभग 6 महीने से ज्यादा का इंतजार करना पड़ सकता है.

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Published : Feb 27, 2021, 1:59 AM IST

शहीद पथ को एयरपोर्ट से जोड़ने वाले एलीवेटेड पुल का निर्माण पड़ा धीमा
शहीद पथ को एयरपोर्ट से जोड़ने वाले एलीवेटेड पुल का निर्माण पड़ा धीमा

लखनऊ :चौधरी चरण सिंहएयरपोर्ट जाने वाले शहरियों और पूर्वांचल एक्सप्रेस की तरफ से आने वाले लोगों के लिए जाम से निजात दिलाने के लिए बनाए जा रहे फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य धीमी गति से हो रहा है. इसके चलते अभी भी आम जनता को उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के इस फ्लाई ओवर के लिए लगभग 6 महीने से ज्यादा का इंतजार करना पड़ सकता है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम पिछले 3 वर्षों से शहीद पथ से चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट को जाने वाले रास्ते को जोड़ने के लिए एलीवेटेड पुल के निर्माण में लगा हुआ है. इसे अधिकारियों की उदासीनता कहें या लापरवाही कि जिस पुल का निर्माण ज्यादा से ज्यादा दो वर्ष में पूरा हो जाना चाहिए था, उसमें अभी भी इतना काम बाकी है कि अगर काम तेज भी कर दिया जाए तो भी काम पूरा होने में लगभग 6 महीने से ज्यादा का वक्त लग जाएगा.

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किन लोगों को मिलेगा इस फ्लाईओवर के निर्माण से फायदा
एलीवेटड फ्लाईओवर के शुरु होते ही माननीयों के साथ ही आम यात्रियों को भी जाम से निजात मिल जाएगी. इसका सीधा फायदा लखनऊ शहर के गोमती नगर, इंदिरानगर और उसके आस-पास रहने वाले लोगों को मिलेगा. साथ ही यूपी के पूर्वी जिलों, सुलतानपुर, वाराणसी, रायबरेली, फैजाबाद, गोरखपुर, बाराबंकी और पूर्वांचल से एयरपोर्ट जाने वाले को भी इसका फायदा मिलेगा. इस फ्लाईओवर का निर्माण 4 अगस्त 2018 से शुरु किया गया था जिसकी अनुमानित लागत 134.69 करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन बढ़ते वक्त के साथ फ्लाईओवर की निर्माण लागत भी बढ़ती जा रही है.

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क्यों हो रही है देरी ?
इस बारे में यूपी राज्य सेतु निगम के उप परियोजना प्रबंधक सुनील कुमार ने बताया कि काम रुकने की मुख्य वजह जमीनों का वक्त पर अधिग्रहण न हो पाना है. इसकी वजह से सेतु निगम के कार्य की गति धीमी हो गई है. जमीनों के अधिग्रहण को लेकर नगर निगम के साथ बात चल रही है, लेकिन इससे भी बड़ी मुश्किल आम जनता की जमीनों के अधिग्रहण को लेकर है. इसकी लंबी खिंचती विधिक प्रक्रिया के चलते सेतु निगम अपना काम वक्त पर पूरा नहीं कर पा रहा है.

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