लखनऊ :उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में चार क्लस्टर में निकाले गए 25 हजार करोड़ लागत वाले 2.5 करोड स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को अंतिम रूप देने को लेकर हंगामा मचा है. वहीं इस हाई प्रोफाइल ऊंची दर वाले टेंडर के मामले में केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार ने सोमवार को एनटीपीसी गेस्ट हाउस में पाॅवर काॅरपोरेशन के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक के साथ गंभीर चर्चा की.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष (Awadhesh Kumar Verma, President of Uttar Pradesh State Electricity Consumers Council) व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार से अपना विरोध दर्ज कराया है. उन्होंने केंद्रीय ऊर्जा सचिव से अनुरोध किया है कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय मार्च 2022 में इस हाईप्रोफाइल मामले पर प्रति मीटर रुपया 6000 ऐस्टीमेटेड कॉस्ट अनुमोदित करके सभी बिजली कंपनियों को एक्शन प्लान व डीपीआर भेज चुका है. ऐसे में अब मैसर्स अडानी जीएमआर व इनटेलीस्मार्ट जिनके टेंडर की दरें प्रति मीटर रुपया 10000 से भी ज्यादा आई हैं तो इन्हीं दरों को पास करने का दबाव बनाया जा रहा है, जो सही नहीं है. 48 से 65 प्रतिशत ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से उच्च दर का अगर किसी विदेशी निजी घराने के दबाव में टेंडर अवार्ड किया गया तो इसका खमियाजा प्रदेश के उपभोक्ताओं को भुगतना पडेगा. इस पर केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार (Union Energy Secretary Alok Kumar) ने आश्वासन दिया है कि इस गंभीर मामले पर वे स्वयं पाॅवर काॅरपोरेशन के उच्चाधिकारियों से बात करेंगे और जल्द ही अलग से उपभोक्ता परिषद को समय दिया जाएगा.
स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर एमाउंट को लेकर नहीं बन रही बात, उपभोक्ता परिषद का विरोध जारी
उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में चार क्लस्टर में निकाले गए 25 हजार करोड़ लागत वाले 2.5 करोड स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को अंतिम रूप देने को लेकर हंगामा मचा है. वहीं इस हाई प्रोफाइल ऊंची दर वाले टेंडर के मामले में केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार ने सोमवार को एनटीपीसी गेस्ट हाउस में पाॅवर काॅरपोरेशन के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक के साथ गंभीर चर्चा की.
पाॅवर काॅरपोरेशन (Power Corporation) का मानना है कि जब केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की सहमति पर रूलर इलेक्ट्रिफिकेशन काॅरपोरेशन लिमिटेड पहले ही डीपीआर में प्रति मीटर रुपया 6000 ऐस्टीमेटेड कॉस्ट अनमोदित कर चुका है, ऐसे में इतनी ऊंची दर पर टेंडर को अवार्ड करने में बड़ी वित्तीय कठिनाई आ रही है. वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय भी संभलकर कदम रख रहा है, क्योंकि सभी को पता है कि रुपया 6000 एस्टिमटेड मीटर की कास्ट केंद्रीय ऊर्जा सचिव की सहमति के बाद ही अनुमोदित की गई है. ऐसे में उससे इतर उच्च दर पर कोई भी लिखित निर्णय लिया जाता है तो यह बड़ी वित्तीय अनियमितता साबित होगा. देश के बडे निजी घराने उच्च दर पर टेंडर हथियाने को लेकर अलग-अलग तर्क दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि निजी घरानों की लॉबिंग का इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सभी बिजली कंपनियों ने ऊंची दरों पर टेंडर की दरों को और कम करने के लिए निगोशियेसन के लिए उनसे फिर से सहमति मांगी, लेकिन किसी भी देश के निजी घराने ने अपनी दरों में कोई भी कमी करने को लेकर हामी नहीं भरी.
यह भी पढ़ें : बसपा के सामने वजूद का संकट, लोकसभा चुनाव में बन सकते हैं नए समीकरण