लखनऊ.भारत निर्वाचन आयोग से मुलाकात को लेकर कांग्रेस में ही आपसी खींचतान शुरू हो गई है. कांग्रेस के नेता आपस में ही उलझ गए हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से भारत निर्वाचन आयोग से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल को अनाधिकृत ठहराया गया तो उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ओंकारनाथ सिंह ने पार्टी और अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. अब यह इस्तीफा और अधिकृत व अनाधिकृत लेटर चर्चा का विषय बना हुआ है.
पिछले तीन दिन से भारत निर्वाचन आयोग लखनऊ दौरे पर था. उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि मंडलों ने भी आयोग से मुलाकात की. अपने सुझाव और शिकायतें आयोग के समक्ष रखीं. आयोग से मिलने वालों में कांग्रेस की तरफ से भी तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल 28 दिसंबर को भेजा गया था.
निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए आयोग से उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्थी को हटाने की मांग की गई थी. इसके बाद कांग्रेस पार्टी में ही अंदरूनी घमासान मच गई. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से 29 दिसंबर को एक लेटर जारी किया गया जिसमें 28 दिसंबर को चुनाव आयोग से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल को ही अनधिकृत ठहरा दिया गया.
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प्रदेश अध्यक्ष ने चुनाव आयोग से अधिकृत प्रतिनिधिमंडल के भेंट करने को लेकर समय की मांग की थी. इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, नेता विधानमंडल दल आराधना मिश्र, वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी और मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन नसीमुद्दीन सिद्दीकी का नाम शामिल था. इसके बाद उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल वरिष्ठ कांग्रेस नेता ओंकार नाथ सिंह ने अपना इस्तीफा कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेज दिया.
पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को भी इस्तीफे की कॉपी भेजी है. इस्तीफे में उन्होंने पूरी सफाई भी दी है. कहा है कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से अधिकृत तौर पर भारत निर्वाचन आयोग से मुलाकात करने के लिए भेजा गया था. अब उन्हें पार्टी की ही तरफ से अनाधिकृत ठहरा दिया गया जो बिल्कुल भी सही नहीं है. कहा कि वे तीन दशक से भी ज्यादा समय से कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं.
कई वर्षों तक पार्टी के महासचिव रहे, प्रवक्ता रहे. उनकी वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने हमारी छवि पूरे प्रदेश में धूमिल कर दी है. इसलिए बड़े ही दुखी मन से पार्टी के सभी पदों से त्यागपत्र दे रहे है.
बता दें कि भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा से जब कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने स्वयं चौंक कर कहा कि भला ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई अनाधिकृत प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिलने चला आए. जो प्रतिनिधिमंडल था, वह पार्टी की ओर से अधिकृत किया गया था.