लखनऊ:यूपी विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियों के लिए ब्राह्मण मतदाता काफी मायने रखते हैं. ऐसे में मतदाताओं को रिझाने के लिए पार्टियां कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती हैं. कांग्रेस पार्टी ने भी इस बार ब्राह्मण उम्मीदवारों को इस उम्मीद के साथ मैदान में उतारा है कि कांग्रेस पार्टी से छिटका हुआ ब्राह्मण एक बार फिर से पार्टी के पाले में आ जाएगा. वहीं, बसपा और सपा भी ब्राह्मणों को अपने पाले में कर सूबे की सियासी समीकरण को अपने पक्ष करने को नित्य नए पैतरे आजमा रहे हैं. इस बीच पूर्वांचल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी के सपा में आने से अखिलेश यादव की पूर्वांचल से उम्मीद बढ़ गई है तो मायावती भी ब्राह्मण कार्ड के जरिए बिगड़े सियासी समीकरण को बनाने की जुगत में जुट गई हैं. इधर, अगर बात कांग्रेस की करें तो पार्टी ने जातीय समीकरणों का पूरा ख्याल रखा है. जनरल कैटेगरी के 27, ओबीसी 23, मुस्लिम 21 और अनुसूचित जाति के 18 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है.
उतारे गए 13 ब्राह्मण
कांग्रेस पार्टी की तरफ से 89 उम्मीदवारों की जो सूची जारी की गई है, उसमें सबसे ज्यादा टिकट सामान्य वर्ग के प्रत्याशियों को दिए गए हैं. 89 में से 27 उम्मीदवार जनरल केटेगरी के हैं. इनमें भी ब्राह्मणों की संख्या 13 है. इसके अलावा एक भूमिहार, एक कायस्थ, 11 राजपूत और एक वैश्य मैदान में उतारा गया है.
ओबीसी का यह अनुपात
ओबीसी की बात करें तो पार्टी ने कुल 23 उम्मीदवार उतारे हैं. इनमें से सात कुर्मी, तीन यादव, दो लोधी, दो राजपूत, दो निषाद, दो सैनी, एक जाट, एक कंबोज, एक कुशवाहा, एक लोधी, एक पाल, एक प्रजापति और एक शाक्य है.