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यूपी निकाय चुनाव में पिछला प्रदर्शन दोहराना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती

उत्तर प्रदेश में हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस की स्थिति क्या होगी. शायद सवाल ज्यादा अहमियत नहीं रखता. दरअसल निकाय चुनाव में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखाई है. प्रदेश अध्यक्ष और प्रांतीय अध्यक्ष के भरोसे लड़े गए इस चुनाव में काफी झोल भी देखने को मिले. ऐसे में कोई चमत्कारिक परिणाम की उम्मीद करना बेमानी है.

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Published : May 13, 2023, 10:00 AM IST

Updated : May 13, 2023, 10:32 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस अपने पिछले प्रदर्शन को और बेहतर करने की उम्मीद लगाए बैठी है. पार्टी के नेताओं ने इस बार नगर निकाय और नगर निगम के चुनाव में पिछले चुनाव में मिले सीटों दुगना करने के दावे कर रही है. साथ ही मेयर की सभी 17 सीटों पर भी जीत के दावे कर रही थी. पार्टी की ओर से इन चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के दावे बहुत किए गए पर टिकट बंटवारे में हुई गड़बड़ी ने पार्टी के उम्मीदों को काफी पीछे छोड़ दिया है. खुद पार्टी के बड़े नेता ही मानते हैं कि टिकट बंटवारे में हुई गड़बड़ी में पार्टी को निकाय चुनाव में पुराने प्रदर्शन को दोहरा पाना भी काफी मुश्किल लग रहा है. शनिवार को निकाय चुनाव के मतगणना के शुरुआती रुझानों में कांग्रेस पार्टी को प्रदेश के 17 मैचों में से एक भी सीट पर बढ़त नहीं मिल रही है. वहीं नगर पंचायत अध्यक्ष में कांग्रेस को 1 सीट व नगर पालिका अध्यक्ष पद पर कांग्रेस को 2 सीटें मिलती दिख नहीं है.

पिछली बार नौ चेयरमैन और 145 पार्षद जीते थे


2017 में हुए नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन किया था पार्टी को पिछले नगर निकाय चुनाव में 9 चेयरमैन जीते थे. जबकि सभी नगर निगमों में कुल 145 पार्षद ही जीत कर आए थे. पार्टी नेताओं ने इस बार के चुनाव में सबसे अधिक सीटे जीतने की रणनीति तो बनाई पर जब टिकट बांटने की बारी आई तो पार्टी कई सीटों पर अपने सिंबल तक नहीं दे पाई. पार्टी सूत्रों का कहना है कि लखनऊ नगर निगम में 110 वार्ड में पार्टी केवल 70 वार्ड पर ही अपने अधिकृत प्रत्याशी उतार पाई. जबकि बाकी बचे 40 वार्डो पर उसे निर्दलीयों को समर्थन देना. मथुरा में पार्टी की ओर से मेयर पद के लिए अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ खुद वहां के नेताओं ने ही विद्रोह कर दिया था. वहां पर पार्टी के प्रमुख नेता पार्टी के ही एक कार्यकर्ता जो निर्दल खड़े थे उनका चुनाव प्रचार करते देखे गए थे. कमोबेश यही हालत प्रदेश के नगर पंचायतों व नगर पालिका अध्यक्ष पद के टिकट बंटवारे में देखने को मिला है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी की ओर से जिन लोगों को चुनाव में सिंबल बांटने के लिए अधिकृत किया गया था. वह नामांकन के आखिरी दिनों तक सिंबल नहीं दे पाए थे. इसको लेकर पार्टी के अंदर काफी खींचतान चल रही है.

चुनाव प्रचार में पार्टी के बड़े नेताओं की दूरी हार का कारण


नगर निगम व नगर निकाय चुनाव में जहां भारतीय जनता पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी 17 मेयर सीटों के अलावा चेयरमैन व पालिका अध्यक्ष के सीटों पर जाकर ताबड़तोड़ रैलियां कीं. वहीं कांग्रेस की ओर से एक भी बड़ा नेता प्रचार के लिए सामने नहीं आया. कांग्रेस की ओर से चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी प्रदेश के नेतृत्व पर ही था. खुद प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी व प्रांतीय अध्यक्ष अपने अपने हिसाब से छोटे स्तर पर ही प्रचार करते नजर आए. जिसके कारण पार्टी इन चुनावों में नतीजों की उम्मीद कर रही थी वह नहीं मिलती दिख रही है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि 2022 में पार्टी अपने सबसे निचले वोट प्रतिशत पर पहुंच जाएगी. पार्टी को बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में 2.15 प्रतिशत ही मत मिले थे. जबकि 2017 के विधानसभा व नगर निकाय नगर पालिका के चुनाव में पार्टी को औसतन 8% के करीब मत मिले थे.

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Last Updated : May 13, 2023, 10:32 AM IST

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