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यूपी में पीडीए के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस आमने-सामने, जानिए वोटों की सेंधमारी का गणित

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन की संभावनाओं पर गृहण लग चुका है. इंडिया गठबंधन (INDIA Aliiance) में होने के बावजूद लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सीटों को लेकर दोनों पार्टियों के बीच तालमेल नहीं बैठ रहा है. मौजूदा वक्त दोनों पार्टियां पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) को अपने पक्ष में करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही हैं. देखें विस्तृत खबर...

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 9, 2023, 2:18 PM IST

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा पीडीए का नारा देने के बाद आप कांग्रेस भी पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) को अपने साथ जोड़ने की कवायद तेज कर दी है. इसके तहत कांग्रेस ने 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती के मौके पर लखनऊ में पिछड़ा वर्ग का बड़ा सम्मेलन आयोजित किया था. वहीं आगामी 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर दलितों को जोड़ने के लिए कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी है. साथ ही कांग्रेस लगातार पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक समाज के नेताओं को अपने पाले में लेकर आ रही है या फिर उन्हें अपने पाले में लाने के लिए बातचीत कर रही है. कांग्रेस ने अखिलेश की संभावित रणनीति को देखते हुए उसी आधार पर पार्टी को मजबूत करना शुरू कर दिया है. बीते दिनों पार्टी में हुई नई जॉइनिंग से यह बात साफ है कि कांग्रेस एक बार फिर से अपने पुराने वोट बैंक को हासिल करना चाह रही है.

चुनावों में कांग्रेस की स्थिति.


पीडीए समाज के कई नेता कांग्रेस से जुड़े : बीते दिनों कांग्रेस में लखीमपुर खीरी से पिछले समाज के बड़े नेता रवि वर्मा ने अपनी पुत्री डाॅ. रेखा वर्मा सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली. रवि वर्मा समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य व मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते थे. उनका तराई के क्षेत्र में पिछड़े वर्ग के जातियों में बड़ा प्रभाव माना जाता है. उनके परिवार में उनके पिता से लेकर अब तक 10 बार सांसदी रह चुकी है. वर्ष 2019 के लोकसभा में उनकी बेटी डॉ. रेखा वर्मा को चार लाख से अधिक वोट भी मिले थे. इसी तरह गाजीपुर के दिलदारनगर सीट से भाजपा के विधायक रहे पशुपतिनाथ राय ने भी अभी बीते दिनों कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी. इसके अलावा कांग्रेस अभी फैजाबाद के मजबूत पिछड़ा समाज के नेता रहे एक परिवार को कांग्रेस पार्टी में लाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो नवंबर के बाद फैजाबाद का यह राजनीतिक परिवार भी कांग्रेस से जुड़ सकता है.

यूपी के लिए कांग्रेस की रणनीति.

अल्पसंख्यक समाज के नेताओं को साथ ला रही कांग्रेस : कांग्रेस ने दलित समाज से आने वाले राठ विधानसभा के पूर्व विधायक और समाजवादी पार्टी के नेता गयादीन अनुरागी को भी पार्टी में लेकर आई है. बीते 5 नवंबर को ही बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक सदस्य और बामसेफ के नेता रहे राज बहादुर सिंह को पार्टी में शामिल कराया था. वहीं अल्पसंख्यक समाज के नेताओं को अपने साथ करने में भी कांग्रेस पीछे नहीं है. कांग्रेस ने नागरिक शमीम अहमद की नागरिक एकता पार्टी का विलय करने में कामयाब रही. वहीं सहारनपुर के इमरान मसूद को भी पार्टी में दोबारा शामिल करा लिया. हाथरस से कोकब नवाब की फैमिली बी आरएलडी से वापस कांग्रेस में आ गई है. इसके अलावा पूर्वांचल के बाहुबली नेता भी बीते दिनों पार्टी नेतृत्व से मुलाकात कर चुके हैं. वर्ष 2022 में उनके जॉइनिंग को मंजूरी नहीं मिली थी. अब यह माना जा रहा है कि दिल्ली आला कमान उनके जॉइनिंग को लेकर के फिर से मन बना रहा है.

यूपी के लिए कांग्रेस की रणनीति.



कांग्रेस की बढ़त सपा नाराज : लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर संजय गुप्ता का कहना है कि कांग्रेस लगातार अपने पुराने वोट बैंक को हासिल करने के लिए दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को जोड़ रही है. मंडल कमीशन आने के बाद से उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों में कांग्रेस का सफाया हो गया और उसका जो मूल वोट बैंक था वह समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल जैसी पार्टियों की तरफ चला गया. वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन बनाकर भाजपा को चुनौती तो पेश की पर अब जब वह अपने मूल वोट बैंक के लिए उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में संघर्ष करना शुरू किया. तो इसका असर उसके अपने सहयोगी पर ज्यादा देखने को मिला.

प्रोफेसर गुप्ता के अनुसार कांग्रेस के प्रति समाजवादी पार्टी की नाराजगी केवल मध्य प्रदेश चुनाव में 4 सीटे मिलने भर की नहीं है. बल्कि कांग्रेस की मुस्लिम वोट बैंक की चाहत, ओबीसी वोट बैंक में सेंधमारी और दलित प्रेम की उसकी मुहिम ने समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन को लेकर एक बार सोचने पर विवश किया है. वहीं जब से जातिगत जनगणना की मांग का कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने समर्थन किया है. तब से समाजवादी पार्टी और भी सतर्क हो गई है. यहां तक की अखिलेश यादव ने उनके इस बयान पर तंज करते हुए कहा था यह तो 'चमत्कार' हो गया है. तभी से दलित पिछड़ा और अल्पसंख्यक समाज के कई बड़े नेता समाजवादी पार्टी सहित विभिन्न राजनीतिक दलों को छोड़कर कांग्रेस की तरफ आने लगे हैं.

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