लखनऊः कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने पिछले दिनों प्रतापगढ़ में हुई मारपीट की घटना को लेकर बीजेपी सांसद संगम लाल गुप्ता और उनके समर्थकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने सफाई दी है कि इस घटना में मेरा कोई हाथ नहीं था, न तो भाजपा सांसद संगम लाल गुप्ता की पिटाई हुई है. उन्होंने कहा कि मेरे और मेरे समर्थकों ने सांसद का किसी भी प्रकार से कोई अपमान नहीं किया है, बल्कि मंच पर मौजूद विधायक आराधना मिश्रा ने तो उन्हें अपनी कुर्सी तक ऑफर की.
वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि मैंने तीन वीडियो रिलीज किए और वह सभी को भेजे हैं. महत्वपूर्ण यह है कि सांसद संगम लाल गुप्ता को 12 बजे आना था, लेकिन वह लगभग 2:30 बजे मंच पर आए. वह सरकारी कार्यक्रम था. विधायक आराधना मिश्रा ने दीप जलाकर कार्यक्रम प्रारंभ किया था. कार्यक्रम शांतिपूर्वक चल रहा था तब तक सांसद आ गए. अधिकारियों ने उन्हें रुकने को कहा, लेकिन वह नहीं रुके.
उन्होंने कहा कि वीडियो में दिखाई पड़ रहा है कि कैसे संगम लाल के समर्थक मंच पर आ जाते हैं, उस मंच पर कुल सात आठ ही कुर्सियां पड़ी थीं. आराधना मिश्रा ने उन्हें सम्मान के तौर पर अपनी कुर्सी भी ऑफर की. मैंने भी शिष्टाचार प्रणाम किया. तब तक उनके साथ आया अभिषेक पांडेय जिनके ऊपर कई गंभीर आरोप हैं उन्होंने विवाद शुरू कर दिया.
प्रमोद तिवारी ने कहा कि विधानसभा में तीन ब्लॉक हैं. तीनों में ब्लॉक प्रमुख कांग्रेस का है. कार्यक्रम में सांसद पहुंचे तो वहां भी उनका फूल माला देकर स्वागत किया. प्रमोद तिवारी ने आरोप लगाया कि ओमप्रकाश गुड्डू पांडेय, अभिषेक ने सांसद संगम लाल गुप्ता को जबरदस्ती मंच की तरफ बढ़ाया. इसके बाद उन्होंने नारेबाजी शुरू कर दी. मैंने भी समझाया बेटी आराधना मिश्रा ने भी समझाया, लेकिन लोग मंच से उतरने को तैयार नहीं हुए.
काफी समझाने बुझाने के बाद सांसद संगम लाल गुप्ता अपनी कार की तरफ बढ़ गए. उनके साथ कोई भी हादसा नहीं हुआ. उनके कपड़े भी सुरक्षित हैं, वह भी सुरक्षित हैं. कोई घटना नहीं हुई, लेकिन वहां से 14 किलोमीटर दूर जाकर लालगंज में जब उतरते हैं तब तक उनके कपड़े सुरक्षित रहते हैं. सांसद संगम लाल गुप्ता ने तीन आरोप लगाए हैं.
प्रमोद तिवारी ने कहा कि मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वीडियो में एक बार भी दिखा दे कि मैंने उन पर हाथ उठाया? वह खुद अब कह रहे हैं कि मेरे समर्थकों ने मारा तो मैं कह रहा हूं जब मैं वहां था ही नहीं, मेरे समर्थक नहीं थे तो उन्हें किसने मारा? वे कार तक पहुंचने के दौरान पूरी तरह सुरक्षित हैं. यह साफ दिख रहा है. प्रमोद तिवारी ने साफ तौर पर कहा कि संगम लाल गुप्ता की पिटाई नहीं हुई. पिटाई ओमप्रकाश पांडेय की हुई है.
लोगों ने तोड़ा माइक
प्रमोद तिवारी ने बताया कि अधिकारियों के रोकने के बाद भी वे मंच पर क्यों आए? उस कार्यक्रम में जिला पंचायत, ब्लॉक प्रमुख, विधायक और मेरे लिए कुर्सियां आरक्षित थीं. 14 लोग मंच पर चढ़ा कर उन्होंने सरकारी माइक तोड़ दी. भला यह कहां से सही है? उत्तेजित भीड़ ने ओमप्रकाश पांडेय को मारा न कि सांसद संगम लाल गुप्ता को. मेरा सवाल है जब उन्हें 12 बजे आना था तो ढाई घंटे लेट क्यों आए? हमने तो इन्हें सम्मान दिया, माला पहनवाई. एक एफआईआर लिखाते तो ठीक था. 27 कार्यकर्ताओं के नाम लिखे गए.
उसी घटना की अभिषेक एफआईआर लिखाते हैं कार्यकर्ताओं के ऊपर, फिर तीसरी एफआईआर गुड्डू पांडेय लिखवाते हैं हमारे और कार्यकर्ताओं के ऊपर. पांचवीं और आखिरी एफआईआर अपने शैडो से मेरे और कार्यकर्ताओं के खिलाफ कराते हैं. सुप्रीम कोर्ट का साफ आदेश है एक समय एक घटना की एक ही एफआईआर हो सकती है तो पांच एफआईआर क्यों?
वीडियो में जो गिरे हैं उसे कहा जा रहा है सांसद जी मारे जा रहे हैं. वह सांसद नहीं हैं ओम प्रकाश पांडेय गुड्डू हैं. अभिषेक पांडेय पर सीओ को मारने का मुकदमा चला है. वह सरकारी माइक तोड़ते हैं, कुर्सी तोड़ देते हैं. सरकारी संपत्ति का नुकसान पहुंचाते हैं. उन पर एफआईआर क्यों नहीं?
जितनी संगम लाल गुप्ता की उम्र, उतना मेरी राजनीतिक करियर
प्रमोद तिवारी ने कहा कि सांसद होने के नाते संगम लाल गुप्ता का दायित्व बनता था कि वह मीडिया के बीच आकर मारपीट का खंडन करते, उन्होंने कहा कि जितनी संगम लाल गुप्ता की उम्र होगी उतना मेरा राजनीतिक करियर है. मेरे साथ कोई घटना नहीं हुई, इसलिए मैं क्यों एफआईआर कराऊं.
प्रमोद तिवारी ने कहा कि ढाई घण्टे तक यह लोग लखनऊ-प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्ग जाम किए रहे, जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि राष्ट्रीय राजमार्ग जाम नहीं कर सकते तो फिर इनके खिलाफ क्यों एफआईआर दर्ज नहीं हुई? प्रमोद तिवारी ने कहा कि जब जांच होगी तो सब कुछ सामने आ जाएगा. घटना की सारी जिम्मेदारी सांसद संगम लाल गुप्ता की है. मैं यह नहीं कहूंगा कि ब्राह्मण होने के नाते मुझे टारगेट किया जा रहा है. मैं अभी नहीं कहूंगा कि विधानसभा चुनाव में प्रचार न कर सकूं इसके लिए मेरे खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की जा रही है. मुझे न्यायपालिका और भगवान पर भरोसा है कि मुझे पूरा न्याय मिलेगा.
आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि मैं महिला होने के साथ रामपुर खास की विधायक हूं. जिस तरह से एंटी सोशल एलिमेंट्स उनके साथ आए थे. अभिषेक मिश्रा, अभिषेक पांडेय, ओमप्रकाश पांडेय यह मंच पर जब चढ़े तो इन्होंने अधिकृत जिला पंचायत सदस्य, बीडीसी और प्रमुख बैठे थे. उनकी कुर्सी खाली कराने लगे मंच पर बैठने के लिए. इसके बाद वहां पर माहौल गर्म हो गया. मैं उठकर गई वहां पर अपने और उनके समर्थकों को रोकने का प्रयास किया.
महिला विधायक होने के नाते मैंने अपनी जिम्मेदारी निभाई. मैंने उनका स्वागत किया. अपनी कुर्सी से उठकर उत्तेजित कार्यकर्ता को शांत करने का प्रयास किया. क्या सांसद की जिम्मेदारी नहीं थी कि वे भी अपने कार्यकर्ताओं को रोकने का प्रयास करते. जो भी हुआ बहुत दुखद है. रामपुर खास मेरे ब्लॉक में यह हुआ मैं इसे शर्मनाक मानती हूं.
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