लखनऊ : प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की हालत दिनों दिन बिगड़ती जा रही है. निकाय चुनावों में कांग्रेस पार्टी कहीं दिखाई नहीं दे रही है. कांग्रेस की उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी 2022 में विधानसभा चुनावों में अभूतपूर्व पराजय के बाद नहीं आई हैं. जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता न होने के कारण प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी व छह क्षेत्रीय अध्यक्ष भी पार्टी में जान फूंकने में नाकाम हैं. यही कारण है कि कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं. सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस की इस दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है?
माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी को जब से प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौंपी गई है, तब से पार्टी का यह हाल हो रहा है. स्थिति यह है कि सभी फैसले तो प्रियंका और राहुल गांधी के स्तर से किए जाते हैं, किंतु असफलता का ठीकरा अन्य नेताओं के सिर पर फोड़ दिया जाता है. पिछले विधानसभा चुनावों का ही उदाहरण लें. पूरे चुनाव में प्रियंका गांधी ने चुनावी मोर्चा संभाला और सुर्खियां भी बटोरीं, लेकिन जब चुनाव में सबसे खराब परिणाम आए तो ठीकरा तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के सिर फोड़ दिया गया. हालांकि अजय कुमार लल्लू ने अपने कार्यकाल के दौरान खूब संघर्ष किया और जनता के मुद्दों के लेकर सड़कों पर भी उतरे. ऐसी आम धारणा है कि नए प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी और छह अन्य क्षेत्रीय अध्यक्षों को किसी भी फैसले के लिए प्रियंका गांधी अथवा 'उनकी निजी कैबिनेट' की ओर देखना पड़ता है. गौरतलब है कि प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह और राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर का उत्तर प्रदेश कांग्रेस में खासा दखल बताया जाता है. इसी कारण कई नेता पार्टी से नाराज हैं और कई ऐसे हैं, जो पार्टी छोड़कर चले गए हैं. पिछले दिनों अभिनेत्री और कांग्रेस नेता रहीं अर्चना गौतम ने सोशल मीडिया के माध्यम से संदीप सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे. इससे पहले भी कई नेताओं ने इसी कारण पार्टी छोड़ी थी.