लखनऊ : देश के पहले आम चुनाव से लेकर 1984 तक लखनऊ लोकसभा सीट पर कांग्रेस जीत हासिल करती रही, लेकिन नौवीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सिर से इस सीट का ताज छिना तो अब तक वापस नहीं हुआ. इस बार प्रियंका गांधी के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से पार्टी लखनऊ सीट जीतने का दावा कर रही है.
- 1951 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस की विजय लक्ष्मी पंडित विजयी हुई थीं. 1952 में शिवराजवती नेहरू ने लखनऊ लोकसभा सीट जीती.
- 1957 में पुलिन बिहारी बनर्जी लखनऊ सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर जीत पाने में कामयाब हुए.
- तीसरी लोकसभा 1962 में कांग्रेस के ही बीके धवन ने जीत हासिल की, लेकिन चौथी लोकसभा 1967 में कांग्रेस की जीत का सिलसिला एक इंडिपेंडेंट कैंडिडेट आनंद नारायण 'मुल्ला'ने तोड़ दिया.
- उन्होंने लखनऊ लोकसभा सीट पर किसी भी पार्टी का राज नहीं रहने दिया. लेकिन 1971 के चुनाव में फिर से कांग्रेस ने वापसी कर ली. कांग्रेस प्रत्याशी शीला कौल ने लखनऊ सीट कांग्रेस के नाम कर दी.
- छठी लोकसभा 1977 में फिर से कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा, जब भारतीय लोक दल के प्रत्याशी के तौर पर हेमवती नंदन बहुगुणा ने इस सीट पर कब्जा कर लिया.
- लेकिन 1980 की सातवीं लोकसभा के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने बाजी पलट दी और शीला कौल ने फिर से कांग्रेस को हारी हुई सीट वापस करा दी.
- 1984 में आठवीं लोकसभा में शीला कौल ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए कांग्रेस की जीत का सिलसिला जारी रखा.
- 9 वीं लोकसभा 1989 के चुनाव में जनता दल के मांधाता सिंह ने जीत हासिल की और फिर शुरू हुआ भारतीय जनता पार्टी के इस सीट को जीतने का सफर.
- 10 वीं लोकसभा में अटल बिहारी वाजपेयी ने यह सीट थामी और तब से लेकर अब तक लगातार लखनऊ लोकसभा सीट पर भाजपा का ही कमल खिल रहा है.