लखनऊ: उत्तर प्रदेश की जिन सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. उन सभी सीटों पर कांग्रेस की स्थिति की बात करें तो पार्टी जीरो है. कांग्रेस के हिस्से में 2017 के विधानसभा चुनाव में इन सातों सीटों में से एक भी सीट नहीं आई थी. इस उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी सातों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार रही है और तीन से ज्यादा सीटों पर जीत का दावा पेश कर रही है. इन दावों के पीछे प्रियंका गांधी की मेहनत बताई जा रही है. पार्टी नेता कहते हैं कि प्रियंका ने लोगों की मदद की है. लोगों के बीच गई हैं और जनहित के मुद्दों को लेकर लगातार वे सरकार को घेरती रही हैं. निश्चित तौर पर इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा और कम से कम तीन से चार सीटें कांग्रेस के खाते में आ सकती हैं.
उपचुनाव में चलेगा प्रियंका का जादू! कांग्रेस को करना पड़ा था हार का सामना2017 में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन था ऐसे में इन सीटों में से ज्यादातर सीटों पर सिर्फ समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ही मैदान में उतरे थे, जिनका कांग्रेस ने समर्थन किया था. घाटमपुर ही एकमात्र ऐसी सीट थी जिस पर कांग्रेस ने सपा के समर्थन से अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा था. हालांकि इस सीट पर भी कांग्रेस को हार का ही सामना करना पड़ा था. हालांकि 2017 के विधानसभा उपचुनाव में प्रियंका की कोई भी भूमिका नहीं थी.
जिन सीटों पर होना है उपचुनाव, क्या रही कांग्रेस की स्थितिबांगरमऊ सीट पर विधानसभा उपचुनाव होना है. इस सीट से 2017 में भाजपा के कुलदीप सिंह सेंगर चुनाव जीते थे. कांग्रेस ने इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ा था. समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन दिया था. सपा प्रत्याशी को 28237 मत मिले थे.मल्हनी सीट पर समाजवादी पार्टी के पारसनाथ यादव ने निषाद पार्टी के धनंजय सिंह को हराया था. कांग्रेस यहां पर चुनाव नहीं लड़ी थी. समाजवादी पार्टी को समर्थन दिया था. उपचुनाव में यहां से पार्टी अपना प्रत्याशी उतार रही है.नौगांव सादात (अमरोहा) सीट से कांग्रेस ने चुनाव नहीं लड़ा. समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी जावेद अब्बास को समर्थन दिया. उन्हें 20648 वोट मिले. यह सीट भारतीय जनता पार्टी के चेतन चौहान ने जीती थी. जिनकी हाल ही में कोरोना से मृत्यु हो गई है. इस वजह से ही सीट पर चुनाव हो रहा है.बुलंदशहर सीट पर 2017 में सपा से सुजात आलम चुनाव लड़े थे. यहां पर भी कांग्रेस पार्टी ने अपना प्रत्याशी उतारने के बजाय समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को ही समर्थन दिया था. सपा प्रत्याशी सुजात आलम को 24119 मत मिले थे जबकि भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह सिरोही ने 111538 मत प्राप्त किए. यहां पर कांग्रेस समर्थित सपा प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी.टूंडला सीट पर कांग्रेस के समर्थन के साथ समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी शिव सिंह चक चुनाव लड़े. दोनों पार्टियों के एक साथ होने और समाजवादी पार्टी की इस क्षेत्र में अच्छी पकड़ होने के बावजूद इस सीट पर भी भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस समर्थित समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को हरा दिया और बीजेपी से सत्यपाल सिंह बघेल चुनाव जीते. 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में घाटमपुर से नन्दराम सोनकर कांग्रेस से चुनाव लड़े. समाजवादी पार्टी ने समर्थन दिया. उन्हें 40465 वोट मिले. यहां से भाजपा की कमल रानी वरुण चुनाव जीती थीं जिन्हें 92776 मत मिले थे. कोरोना के कारण हाल ही में उनका निधन हो गया. जिन सात सीटों पर विधानसभा उपचुनाव हो रहा है उनमें घाटमपुर ही एक ऐसे सीट थी जिस पर 2017 में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी उतारा था.देवरिया सीट से समाजवादी पार्टी ने चुनाव लड़ा, कांग्रेस ने समर्थन दिया मगर भारतीय जनता पार्टी के जन्मेजय सिंह जीते और समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट जेपी जायसवाल 46236 वोट पाकर हार गए.
इन सीटों पर होना है उपचुनाव-बांगरमऊ-मल्हनी-घाटमपुर-देवरिया-नौगांव सादात-टूंडला-बुलन्दशहरकांग्रेस ने इन प्रत्याशियों पर किया भरोसाबांगरमऊ से आरती बाजपेई, नौगांव सादात से डॉ. कमलेश सिंह, बुलंदशहर से सुशील चौधरी, टूंडला से स्नेह लता, घाटमपुर से कृपाशंकर और देवरिया से मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है.
मल्हनी सीट पर अभी कशमकशसात विधानसभा सीटों में से छह सीटों पर कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं. जौनपुर की मल्हनी सीट पर बाहुबली धनंजय सिंह कांग्रेस से चुनाव लड़ने की जुगत में जुटे हुए हैं. हालांकि पार्टी ने अभी यहां पर उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया है. उम्मीद जताई जा रही है कि धनंजय सिंह ही कांग्रेस के पंजे पर यहां से उम्मीदवार होंगे.
105 पर ठोकी ताल, मिलीं सिर्फ सात
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में 105 सीटों पर कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ी थी, हालांकि इस चुनाव में प्रियंका गांधी का यूपी की राजनीति से दूर-दूर तक का वास्ता नहीं था. दरअसल तब प्रियंका सक्रिय राजनीति में आई ही नहीं थीं. इस चुनाव में कुल सात सीटों पर ही कांग्रेस विजयश्री प्राप्त कर पाई थी. जिनमें 29 पर जमानत जब्त हुई और कुल मतदान का महज 6.2 फीसद वोट ही कांग्रेस पार्टी के खाते में आया था.
नहीं चला था प्रियंका का कोई जादू
सक्रिय राजनीति में कदम रखने के बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव की बात की जाए तो यूपी प्रभारी के रूप में प्रियंका गांधी के नेतृत्व वाला यह पहला उपचुनाव होगा. हालांकि लोकसभा चुनाव में उन्होंने उत्तर प्रदेश की पूर्वी प्रभारी के रूप में पार्टी का नेतृत्व किया था जिसमें कांग्रेस कोई बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई थी. लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी सिर्फ एक सीट जीत पाई थी. लाख जोर लगाने के बावजूद प्रियंका अपने भाई राहुल गांधी को चुनाव में जीत नहीं दिला पाई थीं, सिर्फ उनकी मां सोनिया गांधी अपनी सीट जीत पाने में कामयाब हुई थीं. अब इस उपचुनाव में प्रियंका की साख दांव पर लगी हुई है.
जिन सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं उनमें अभी तो कांग्रेस की कोई भी सीट नहीं है, लेकिन कोरोना के दौर में कांग्रेस ने जनहित में जो काम किया है, चाहे वह विभिन्न प्रदेशों से लोगों को वापस उत्तर प्रदेश लाना हो, उनके खाने की व्यवस्था करनी हो, रहने की व्यवस्था करनी हो सब कांग्रेस ने किया है. जनहित के मुद्दे पर पिछले एक साल में कांग्रेस ने ही संघर्ष किया है. ऐसे में जनता का जो मैंडेट आएगा वह कांग्रेस के पक्ष में आएगा और कांग्रेस कई सीटें जीतेगी.