लखनऊः डीएचएफएल घोटाले को लेकर प्रदेश की योगी सरकार और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा पर कांग्रेस लगातार हमलावर होती जा रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने शुक्रवार को 8 नए सवालों की मिसाइल दागी है. उन्होंने सरकार से पूछा है कि इतने बड़े निवेश के लिए कौन सी टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई? सरकार यह भी बताए कि उत्तर प्रदेश के किन-किन विभागों में पीएफ का पैसा इसी तरह से निजी कंपनियों में कहां-कहां निवेश किया गया है?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मीडिया प्रभारी राजीव त्यागी के साथ सरकार पर तीखे आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि बिजली कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई का ज्यादातर हिस्सा सरकार ने डिफाल्टर कंपनी डीएचएफएल में निवेश कराया है. यह सब कुछ प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की मौजूदगी में हुआ है. ऊर्जा मंत्री अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए अपने मामले को दूसरी दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें जनता और बिजली कर्मचारियों को जवाब देना होगा. उन्हें बताना होगा कि हजारों करोड़ रुपये एक निजी कंपनी को सरकार ने किस आधार पर दिया?
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इन सवालों के मांगे जवाब
1- इतने बड़े निवेश के लिए कौन सी टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई?
2- टेंडर के प्रपोजल मांगने की शर्तें क्या-क्या थीं?
3- क्या इंटरनेशनल कंप्टीटिव बिडिंग कराई गई या बंद कमरे में तीन प्रस्ताव लेकर ही टेंडर दे दिया गया ?
4- सभी प्रस्ताव देने वाली कंपनियों के ऑफर क्या थे? फंड की सुनिश्चित वापसी, कितने साल का निवेश कितने प्रतिशत और नुकसान की भरपाई का जिम्मेदार कौन होगा? क्या यह सब निवेश की शर्तों में शामिल था या नहीं?
5- प्रोविडेंट फंड निवेश की गाइडलाइन के नियमों का पालन किया गया या नहीं ? सरकार उन कंपनियों की सूची जारी करें जहां पर विभिन्न विभाग विभागों के पैसे का निवेश किया गया सरकार 2017 से 2019 की इन्वेस्टमेंट कमेटी की सभी बैठकों की मिनट और कार्यवृत्त जारी करें, जिससे बैठकों में हिस्सा लेने और सहमति देने वाले अधिकारियों के नाम सामने आ सकें.
6- प्रोविडेंट फंड निवेश को लेकर सीवीसी गाइडलाइन और वित्त विभाग की गाइडलाइन का अनुपालन हुआ या नहीं ?
7- क्या निवेश बगैर वित्त विभाग के अनुमोदन के संभव है, क्या वित्त विभाग का परामर्श लिया गया ?
8- नई और पुरानी पेंशन की स्कीम का पैसा किन-किन कंपनियों में निवेश किया गया है? सरकार इसका श्वेत पत्र जारी करें.