लखनऊः यूपी की सियासत में बीएसपी और कांग्रेस का अभी किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं हुआ है. ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि यूपी में हाथी और हाथ साथ आ सकते हैं. ये दोनों ही पार्टियां एक दूसरे के साथ गठबंधन कर यूपी विधानसभा 2022 का चुनाव लड़ सकती हैं. बीएसपी सुप्रीमो मायावती की मां की श्रद्धांजलि समारोह में प्रियंका गांधी पहुंची थीं. जिसके बाद से इसके कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि अगले साल ही पंजाब में भी विधानसभा चुनाव है और वहां पर बीएसपी का अकाली दल से गठबंधन है. यही पेंच यूपी में दोनों पार्टियों के साथ आने में अडंगा लगा सकता है.
उत्तर प्रदेश में इस बार सभी बड़े दल कह रहे हैं कि किसी भी बड़े दल से गठबंधन नहीं करेंगे. इन दलों में कांग्रेस भी शामिल है और बहुजन समाज पार्टी भी. छोटे दलों से गठबंधन के लिए सभी ने दरवाजे खुले रखे थे. हालांकि ये अलग बात है कि न बहन जी से किसी छोटे दल ने गठबंधन करने के इरादे से कदम बढ़ाए और न ही प्रियंका की तरफ ही कोई छोटा दल हाथ बढाने आया. ऐसे में अब अकेले-अकेले चुनाव लड़ने की बात यह दोनों ही पार्टियां कर रही हैं.
'हाथी और हाथ' का हो सकता है साथ इसी बीच राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को कांग्रेस का साथ मिल सकता है. इसके पीछे हाल ही में प्रियंका गांधी और मायावती की मुलाकात को अहम वजह माना जा रहा है. हालांकि इस मुलाकात को लेकर दोनों ही पार्टियों के नेता कह रहे हैं कि यह तो दुख का समय था जब दोनों नेता मिले. इसका राजनीति से जरा सा भी मतलब नहीं है, लेकिन प्रियंका और मायावती के फिर से मुलाकात करने को लेकर जो बात हुई, उसे लेकर भी चर्चाएं हैं कि भविष्य में प्रियंका और मायावती मुलाकात कर एक नया चुनावी समीकरण तैयार कर सकती हैं.
मायावती की मां के देहांत में पहुंची थीं प्रियंका बसपा ने अकाली दल से किया है गठबंधन
साल 2022 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं और पंजाब में भी. पंजाब में अकाली दल के साथ बहुजन समाज पार्टी ने हाथ मिला लिया है और दोनों साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरेंगे. वहां पर वर्तमान में कांग्रेस पार्टी की सरकार है और अगले चुनाव में पंजाब में बसपा कांग्रेस से टक्कर लेगी. यही एक बड़ी बाधा उत्तर प्रदेश में दोनों पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने में बन रही है. हालांकि कई ऐसे उदाहरण रहे हैं कि पार्टियों ने अन्य राज्यों में एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा और जहां पर उनके समीकरण फिट बैठे. वहां पर गठबंधन में साथ रहे. यही उदाहरण उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिल सकता है.
प्रियंका गांधी, राष्ट्रीय महासचिव, कांग्रेस राजस्थान में कांग्रेस के साथ खड़ी थी बसपा
राजस्थान में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी के नेता और पार्टी कांग्रेस पार्टी के साथ खड़ी थी. पार्टी ने राजस्थान में कांग्रेस का समर्थन किया था.
कहीं खिलाफ तो कहीं साथ
हालांकि बात महाराष्ट्र की करें तो जीवन भर शिवसेना का विरोध करने वाली कांग्रेस पार्टी वर्तमान में महाराष्ट्र सरकार की सहयोगी है और उस सरकार में कांग्रेस के भी कई मंत्री हैं. पश्चिम बंगाल में वामदलों के साथ कांग्रेस ने गठबंधन किया. लेकिन यूपी में वामदल कांग्रेस के खिलाफ खड़े हैं.
कांग्रेस के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन पहले बसपा के राष्ट्रीय महासचिव ने दिल्ली में कांग्रेस के बड़े नेताओं से मुलाकात भी की है. ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन को लेकर खिचड़ी पकने की खबर है.
2017 में कांग्रेस का सपा से था गठबंधन
साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी साथ मिलकर चुनाव लड़े थे, हालांकि दोनों ही पार्टियों को इसका कोई भी फायदा नहीं हुआ. समाजवादी पार्टी सिर्फ 47 सीटें जीतने में सफल हुई तो कांग्रेस को सिर्फ सात सीटें मिलीं. इनमें से भी दो विधायक बागी हो गए हैं. लिहाजा, वर्तमान में कांग्रेस के सिर्फ पांच ही विधायक हैं.
क्या कहते हैं कांग्रेस के नेता
उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ उमाशंकर पांडेय कहते हैं कि हमारी राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने पहले ही कह दिया है कि हम उत्तर प्रदेश में किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेंगे. हम अकेले चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में बसपा के साथ गठबंधन का कोई सवाल पैदा नहीं होता. जहां तक पूर्व में बसपा सुप्रीमो मायावती की माताजी के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में प्रियंका गांधी के पहुंचने की बात है तो हम अटल बिहारी वाजपेई को याद करते हैं, जिन्होंने कहा था कि आपसी मतभेद तो हो सकते हैं लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए. कांग्रेस पार्टी नफरत की राजनीति नहीं करती है इसलिए सभी के साथ खड़ी होती है.
क्या कहते हैं समाजवादी पार्टी के नेता
उत्तर प्रदेश में अगर बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन होता है, तो इसका दोनों पार्टियों को कितना फायदा मिलेगा? इसे लेकर समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता फखरुल हसन 'चांद' कहते हैं कि किसी भी दल को कोई फायदा होने वाला नहीं है. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी से सिर्फ समाजवादी पार्टी लड़ रही है और समाजवादी पार्टी का जनता से गठबंधन हो चुका है. लिहाजा, अब उत्तर प्रदेश में किसी भी पार्टी का किसी से भी गठबंधन हो जाए समाजवादी पार्टी ही बेहतर चुनाव लड़ेगी और 2022 में सरकार बनाएगी. भाजपा से सभी रूठे हुए दल और नेता समाजवादी पार्टी के साथ आ रहे हैं.
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क्या कहते हैं बसपा प्रवक्ता
बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता फैजान खान से 'ईटीवी भारत' ने फोन पर बात की तो उन्होंने कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के भविष्य में गठबंधन को सिरे से नकार दिया. उनका कहना है कि मायावती और प्रियंका की कोई सियासी मुलाकात नहीं थी. ऐसी जगह पर दोनों नेताओं की मुलाकात हुई जहां पर सियासत नहीं की जा सकती. सुख-दुख में सभी को साथ खड़ा होना चाहिए. मायावती ने पहले ही कह दिया है कि वह किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेंगी, ऐसे में भविष्य में भी अगर नेताओं की आपसी मुलाकात होती है. तो इसके सियासी मायने नहीं निकाले जाने चाहिए.
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