लखनऊ: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमियों के महासम्मेलन में सरकारी नीतियों को लेकर कई सवाल उठे. उद्यमियों ने सरकार से ऐसी नीतियां बनाने के लिए कहा जो एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा दे सकें. छोटे उद्यमों को जीएसटी के दायरे से बाहर करने की भी मांग उठी.
उद्यमियों ने सरकार के सामने रखे अपने सुझाव. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय की एक दिवसीय कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से उद्यमी शिरकत करने पहुंचे. उद्यमियों ने प्रदेश सरकार से कहा कि वह एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए अपनी स्पष्ट नीति तैयार करें, जिससे एमएसएमई सेक्टर को लंबे समय तक नीति के अनुसार कार्य करने का मौका मिल सके. उद्यमियों ने सरकार के सामने रखी बात
कुछ उद्यमियों ने कहा कि जीएसटी लागू होने से पहले कई ऐसे उत्पाद थे, जिनका 80 फ़ीसदी से ज्यादा उत्पादन एमएसएमई सेक्टर में हो रहा था. अब जीएसटी लागू होने के बाद ऐसे उत्पादों पर भी 5 फ़ीसदी तक टैक्स लगा दिया गया है. इससे छोटे उद्यमियों को नुकसान हो रहा है. उनका बाजार सीमित हो रहा है, जबकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को विस्तार का मौका मिल रहा है.
डिफेंस कॉरिडोर को बढ़ाने की मांग
वाराणसी से आए उद्यमी ने कहा की डिफेंस कॉरिडोर को लखनऊ और बुंदेलखंड तक सीमित न रखा जाए. इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में ले जाया जाए, जिससे पूर्वांचल का विकास हो सके. एक उद्यमी ने कहा की एमएसएमई सेक्टर के लोगों के पास पूंजी सीमित मात्रा में हैं, ऐसे में उनके जो उत्पाद सरकारी विभागों में खरीदे जा रहे हैं उनका समय से भुगतान नहीं होता.
उद्यमी ने आगे कहा कि टेंडर में ही लिख दिया जाता है कि 20 दिन बाद भुगतान किया जाएगा. इसके बावजूद कई महीने तक लोगों को भुगतान नहीं मिलता. यह एक ऐसी समस्या है, जिससे एमएसएमई सेक्टर बढ़ने की बजाय घटता जा रहा है.
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प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नवनीत सहगल ने इस मौके पर उद्यमियों को भरोसा दिलाया कि सरकार नीति बनाने की दिशा में काम कर रही है. उद्यमियों को सरकारी विभागों से जल्द से जल्द पैसा मिल सके. उनका भुगतान कम अवधि में कराया जाए, इसके लिए भी विचार किया जा रहा है.