लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रशासन ने हाल ही में एक फरमान जारी किया था. जिसमें बस संचालन के दौरान वर्दी में न रहने वाले ड्राइवर और कंडक्टरों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने का जिक्र किया गया था. यही नहीं उनसे जुर्माना भी वसूलने की बात कही गई थी. निगम प्रशासन के इस आदेश का ड्राइवर-कंडक्टरों ने जोरदार विरोध किया.
उनका तर्क था कि दो से तीन साल पहले ड्राइवर व कंडक्टर को वर्दी दी गई थी जो फट गई है. उसके बाद वर्दी का कपड़ा तक नहीं दिया गया, तो कहां से वर्दी में नजर आएंगे? ड्राइवर व कंडक्टरों का साथ उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ ने दिया. इसके बाद निगम प्रशासन को झुकना पड़ा और वर्दी से संबंधित आदेश वापस लेना पड़ गया.
अगर ड्यूटी वर्दी में नहीं आते हैं तो पहली बार ₹50 दूसरी बार 100 और तीसरी बार 250 रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया था. इसके अलावा अपने पद नाम की पट्टिका ड्यूटी अवधि में अपनी शर्ट, कोट या स्वेटर पर ब्लैक बेस पर सफेद लेटर में लगाना अनिवार्य किया गया था. ऐसा नहीं होने पर पहली बार 100 रुपये, दूसरी बार 200 और तीसरी बार ₹300 की कटौती किए जाने का प्रावधान किया गया था.
इसके अलावा किसी भी स्तर के कर्मचारी और अधिकारी द्वारा ड्यूटी अवधि में औपचारिक पहनावे के रूप में शर्ट/फुल शर्ट/ पैंट को ही कार्यालय ड्यूटी में पहनना अनिवार्य किया गया था. इसके साथ ही परिवहन निगम प्रशासन की तरफ से यह भी आदेश दिया गया था कि स्त्री या पुरुष किसी भी श्रेणी के कर्मचारी या अधिकारी ड्यूटी समय में कैजुअल परिधान जैसे जींस, टीशर्ट, नेकर आदि सहित ऐसे परिधान जो कार्यालय कर्मचारियों के औपचारिक परिधान में नहीं आते, इन परिधानों को कार्यालय दिवस में पहनने पर प्रतिबंध होगा. परिवहन विभाग के इस फरमान का सभी ने जोरदार विरोध किया. जिसके बाद अधिकारियों को बैकफुट पर जाना पड़ा.
क्या कहते हैं यूनियन के नेता