लखनऊ: केजीएमयू के क्वीन मेरी अस्पताल(Queen Mary Hospital) के डॉक्टरों ने दावा किया है कि कंडोम (condom) और कैथिटर (catheter) के इस्तेमाल से प्रसव के बाद महिलाओं के रक्तस्राव को रोका जा सकता है. इसे (पीपीएच) पोस्टपार्टम हेमरेज(postpartum hemorrhage) कहा जाता है. देश में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के सीएचसी पीएचसी में तमाम गर्भवती महिलाओं की मौत अत्यधिक ब्लीडिंग होने के कारण होती है. दरअसल प्रसव के बाद बहुत सारी महिलाओं को अत्यधिक रक्तस्राव होता है. जिसके बाद प्रसूता के शरीर में खून की कमी हो जाती है. यही वजह है कि देश में मातृ मृत्यु दर बढ़ती जा रही है. क्वीन मैरी अस्पताल की डॉक्टर ज्यादातर प्रसूताओं की ब्लीडिंग को रोकने के लिए कैथिटर और कंडोम का इस्तेमाल करती हैं.
पोस्टपार्टम हेमरेज खतरनाक
क्वीन मेरी अस्पताल (Queen Mary Hospital) की मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. एसपी जायसवार बताती हैं कि पोस्टपार्टम हेमरेज (postpartum hemorrhage) महिलाओं के लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक होता है. इसी की वजह से मातृ मृत्यु दर (maternal mortality rate) में भी वृद्धि होती है. यह एक गंभीर स्थिति है जो कि डिलीवरी के बाद पैदा होती है जब डिलीवरी के बाद यूट्राइन एटॉनी की दिक्कतें होती हैं. इसी के कारण महिलाओं की मौत हो जाती है. सुपरिटेंडेंट प्रो. एसपी जायसवार ने बताया कि अब हमारे अस्पताल में पीपीएच से महिलाओं को बचाने के लिए कैथिटर और कंडोम का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि प्रसव के बाद महिला के गर्भाशय को आसानी से पहले वाले शेप में ला कर ब्लीडिंग को रोका जा सके.
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यह है विधि
फॉलिज कैथिटर के ऊपर कंडोम को बांधकर कर प्रसूता की बच्चेदानी में डालकर सलाइन भरा जाता है, ताकि कंडोम बैलून बन जाए. बच्चेदानी में जब बैलून फूलता है तो बैलून बच्चेदानी से चिपक जाता है. उसे 24 घंटे के लिए बच्चेदानी में ही छोड़ दिया जाता है. 24 घंटे बाद डॉक्टर गर्भाशय से सलाइन को धीरे-धीरे निकालते हैं. इसके बाद गर्भाशय का आकार जो प्रसव के बाद फैल जाता है वह अपने ओरिजिनल आकार में कैथिटर और कंडोम के सहायता से आ जाता है. जिससे ब्लीडिंग रुक जाती है. पहली बार इस विधि को छत्तीसगढ़ में एक डॉक्टर ने किया था. जिसकी वजह से इस विधि को छत्तीसगढ़ बैलून कैथिटर के नाम से भी से जाना जाता है.