लखनऊ :उत्तर प्रदेश की राजधानी में खेलों के विकास की हालत का एक नमूना विकास नगर का मिनी स्टेडियम है. एक ओर भले यहां अटल बिहारी वाजपेयी इकाना जैसा इंटरनेशनल स्टेडियम हो, लेकिन दूसरी ओर इस स्टेडियम को सड़क और नाला निर्माण के दौरान मलबे के ढेर में तब्दील कर दिया गया है. खिलाड़ी इस स्टेडियम से दूर हो चुके हैं. आवास विकास परिषद में कॉलोनी बनाते समय पर स्टेडियम के निर्माण क्षेत्रीय स्तर पर खेलों के विकास को लेकर किया था, लेकिन दिन पर दिन स्टेडियम 'कूड़ा घर' में तब्दील हो चुका है. यह स्टेडियम अब नगर निगम के हवाले हो चुका है. नगर निगम ने इसको खेल निदेशालय को ट्रांसफर करने का फैसला काफी समय पहले किया था, मगर यह फैसला अब तक कागजों में ही बना हुआ है. स्टेडियम न ही पेशेवर खिलाड़ियों और न ही स्थानीय बच्चों के काम आ रहा है. केवल सड़क और नाला निर्माण का मलबा यहां डाला जा रहा है. इसके साथ ही सभी गेट टूटे होने की वजह से कार सीखने के शौकीन इस स्टेडियम का और भी बुरा हाल कर रहे हैं.
विकास नगर कॉलोनी को विकसित करते समय मिनी स्टेडियम का निर्माण कराया गया था, ताकि कॉलोनी में रहने वाले खिलाड़ी यहां आकर खेलों का अभ्यास कर सकें. खास तौर पर क्रिकेट के लिए यहां पर सीमेंटेड विकेट और नेट प्रैक्टिस की सुविधा दी गई. एक एकेडमी का भी संचालन किया जाता है, मगर हाल इतना बुरा है कि खिलाड़ी स्टेडियम को छोड़ने के लिए मजबूर होते जा रहे हैं.
खेल निदेशालय को नहीं दिया जा सका हैंडओवर :विकास नगर कॉलोनी का मिनी स्टेडियम नगर निगम खेल विभाग को सौंप देगा, इसे लेकर पूर्व में नगर निगम कार्यकारिणी समिति में प्रस्ताव भी आया था. जिसे समिति ने मंजूर करते हुए खेल विभाग को सौंपे जाने की कार्यवाही जारी कर दी थी. विकास नगर मिनी स्टेडियम रिंग रोड पर है. देखरेख के अभाव में इसकी हालत अच्छी नहीं है. शहर के अंदर रोड के किनारे यह एक बड़ा स्टेडियम है. इसकी बाउंड्रीवाल, गेट, बैठने के लिए बनी सीढ़ियों की हालत सही नहीं है. नगर निगम भी इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था. खेल विभाग की ओर से स्टेडियम की मांग की गई थी. इसे लेकर नगर आयुक्त की ओर से कार्यकारिणी बैठक में प्रस्ताव रखा गया, जिसे समिति ने पास कर दिया था. प्रस्ताव के तहत स्टेडियम को सिर्फ संचालन के लिए खेल विभाग को दिया जाएगा. उसका रखरखाव भी खेल विभाग ही करेगा, मगर स्वामित्व नगर निगम का ही रहेगा. नगर निगम द्वारा खेल विभाग से कोई शुल्क या किराया भी नहीं लिया जाएगा, लेकिन यह प्रस्ताव अब तक कागजों में ही दम तोड़ रहा है.