लखनऊ:मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के विपरीत जिलों से लेकर विभागों तक में आमजनों की शिकायतों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है. 12 से अधिक विभागों में तमाम जिलों में जनता की समस्याओं का निस्तारण पिछले कई साल से नहीं हो पा रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व मुख्य सचिव के स्तर पर तमाम बार जन समस्याओं का निस्तारण प्राथमिकता के साथ कराए जाने की दिशा निर्देश दिए जाते हैं लेकिन निचले स्तर पर आम जनों की समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पाता और शिकायतों का अंबार पेंडिंग के रूप में लगा हुआ है.
अधिकारियों के स्तर पर जन शिकायतों को निस्तारित करने के लिए आवेदन नीचे स्तर पर भेजे जाते हैं लेकिन उनका निस्तारण नहीं होता और शिकायत लंबित रह जाती हैं. फरियादी जिलों से लेकर मंडल मुख्यालय व राजधानी लखनऊ तक आते हैं और परेशान होते रहते हैं.
ईटीवी भारत ने कई विभागों में जनसमस्याओं को लेकर पड़ताल की तो पता चला कि वर्ष 2017 से लेकर जून 2022 तक करीब 12 विभागों में 10,000 से अधिक शिकायतें लंबित चल रही हैं. शिकायतों के निस्तारण के लिए समयसीमा भी सरकार के स्तर पर निर्धारित की गई है. एक सप्ताह से लेकर 30 दिन तक शिकायतों का निस्तारण कर फरियादी को जानकारी देने का नियम बना हुआ है, लेकिन यह नियम सिर्फ़ कागजी बनकर ही रह गया है. जनता की शिकायतें जिला स्तर पर लंबित चल रही हैं. हर जिले में जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान को सुबह 10:00 बजे से 11:00 बजे तक जनता की समस्याएं सुनने के दिशा निर्देश उच्च स्तर से बार-बार दिए जाते हैं लेकिन जनता शिकायत करती है लेकिन उनकी समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पाता.
इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक अशोक राजपूत का कहना है कि जनता की समस्याओं का निस्तारण न होने के पीछे कागजी खानापूर्ति के मकड़जाल में उलझाकर रखा गया है. अधिकारी निचले स्तर पर जनता की समस्याओं का निस्तारण करने में अधिकारी दिलचस्पी नहीं लेते हैं. जनप्रतिनिधियों को भी इस दिशा में और अधिक प्रयास करके जनता की समस्याओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए.
इन शिकायतों को लेकर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री सुरेश खन्ना से बात की तो उन्होंने कहा कि अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए है कि जनता की समस्याओं का निस्तारण प्राथमिकता के साथ कराया जाए. प्रतिदिन कार्यालयों में जनसुनवाई का समय निर्धारित किया गया है और मुख्यमंत्री के स्तर पर भी लगातार दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं. इन समस्याओं का निस्तारण ठीक ढंग से कराया जाए. जनता की समस्याओं के निस्तारण की मॉनीटरिंग के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से भी पूरा फीडबैक लिया जाता है. शिकायतों का निस्तारण कराया जा रहा है. कहीं कोई दिक्कत होती है समस्याओं का निस्तारण नहीं होता है तो कार्यवाही भी की जाती है.
इन विभागों में सबसे ज्यादा शिकायतें लंबित
नगर विकास विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, माध्यमिक शिक्षा, परिवहन विभाग, पंचायती राज राजस्व एवं आपदा विभाग, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास जैसे विभागों में हजारों की संख्या में शिकायतें लंबित है.
राजस्व विभाग की बात करें तो इस विभाग में करीब 4 हजार से अधिक शिकायतें वर्ष 2017 से लंबित चल रही हैं. इन शिकायतों में मुख्य रूप से ग्राम सभा की जमीनों पर कब्जा, तालाब खलिहान शमशान जैसे सार्वजनिक स्थानों पर भी कब्जे की शिकायतें लंबित हैं. राजस्व विभाग के स्तर पर ग्राम समाज की जमीनों के विवाद जैसे मामले इन लंबित शिकायतों में शामिल हैं. जमीन की नाप कराने, लेखपाल के स्तर पर पैसा मांगने जैसी शिकायतें लंबित चल रही हैं. इसी प्रकार बात अगर अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग की की जाए तो करीब 2200 से अधिक शिकायतें आम नागरिकों की लंबित चल रही हैं. इनमें इंडस्ट्री लगाए जाने के लिए जमीन के लिए एनओसी न देना, जमीन आवंटन के लिए पैसा जमा होने के बावजूद कब्जा न मिलना, जमीन आवंटित होने और कब्जा मिलने के बावजूद आसपास के क्षेत्र में अतिक्रमण होने जैसी शिकायतों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है.