लखनऊ: महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग भी पीछे है. वर्ष 2019 के आंकड़ों की बात करें तो इस साल महिलाओं को लेकर हुए विभिन्न अपराधों के 40,998 मामले महिला आयोग के पास पहुंचे, जिनमें से सिर्फ 28,200 मामलों का निस्तारण किया गया है. वर्तमान में 12,799 मामले पेंडिंग हैं.
महिलाओं के साथ अपराध होने पर जब सिस्टम उनकी मदद नहीं करता है तो महिलाएं न्याय की आस में उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग पहुंचती हैं. महिलाओं को उम्मीद होती है कि महिला आयोग की ओर से उन्हें मदद मिलेगी, लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग भी महिलाओं को न्याय दिलाने में पूरी तरह से कामयाब नहीं हो रहा है. वर्ष 2019 में 31% महिलाओं से संबंधित मामलों में उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका है.
राज्य महिला आयोग तक पहुंचे मामले और उनका निस्तारण (वर्ष 2019)
- एसिड अटैक- 35 मामले दर्ज, एक का भी निस्तारण नहीं.
- यौन उत्पीड़न- 760 मामले दर्ज, सिर्फ 299 का निस्तारण.
- घरेलू हिंसा- 3290 मामले दर्ज, सिर्फ 1246 का निस्तारण.
- बाल विवाह- 11 मामले दर्ज, सिर्फ 7 का निस्तारण.
- बलात्कार- 1917 मामले दर्ज, सिर्फ 913 का निस्तारण.
- बाल विवाह- 1056 मामले दर्ज, सिर्फ 474 का निस्तारण.
- कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न- 27 मामले दर्ज, सिर्फ 17 का निस्तारण.
- कार्यस्थल पर उत्पीड़न- 58 मामले दर्ज, सिर्फ 49 का निस्तारण.
- हत्या- 449 मामले दर्ज, सिर्फ 189 का निस्तारण.
- हत्या का प्रयास- 455 मामले दर्ज, सिर्फ 227 का निस्तारण.
- पुलिस उत्पीड़न- 663 मामले दर्ज, सिर्फ 407 का निस्तारण.
- साइबर क्राइम- 114 मामले दर्ज, सिर्फ 74 का निस्तारण.
- दहेज उत्पीड़न- 6288 मामले दर्ज, सिर्फ 2199 का निस्तारण.
- अपहरण- 1658 मामले दर्ज, सिर्फ 782 का निस्तारण.
- अश्लील हरकत व छेड़छाड़-3261 मामले दर्ज, सिर्फ 1872 का निस्तारण.