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मानवाधिकार आयोग से आवारा कुत्तों के आतंक की शिकायत - सहारा स्टेट्स लखनऊ

राजधानी लखनऊ में आवारा कुत्तों ने शहर की कॉलोनियों में आतंक मचा रखा है. शहर की शायद ही कोई गली हो जहां आवारा कुत्तों की दहशत न हो. रात में इनसे बचकर निकलना मुश्किल है. कुत्तों के आतंक को लेकर कॉलोनी के लोगों ने मानवाधिकार आयोग से शिकायत की.

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आवारा कुत्तों का आतंक.

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Published : Dec 12, 2020, 5:41 PM IST

लखनऊ: आवारा कुत्तों ने शहर के कई इलाकों सहित नियोजित कॉलोनियों में आतंक मचा रखा है. शायद ही कोई गली हो जहां इनकी दहशत न हो. रात के अंधेरे में गलियों से इनसे बचकर निकलना आसान नहीं है. पार्कों में इन्होंने लोगों का टहलना मुश्किल कर दिया है. सहारा स्टेट्स में कुत्तों के आतंक को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर मानवाधिकार आयोग के सदस्य ओपी दीक्षित से शिकायत की गई.

झुंड में आकर आने-जाने वालों को बना रहे शिकार

लखनऊ जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष ने बताया कि सहारा स्टेट्स में कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है, जो लोगों के लिए जानलेवा होता जा रहा है. आवारा कुत्ते कई लोगों को अपना शिकार बना चुके है. कॉलोनीवासियों और आने-जाने वालों पर झुंड बनाकर हमला करते हैं. मानवाधिकार आयोग से इस संवेदनशील मामले में उचित कार्रवाई करने के लिए संबंधित को निर्देशित करने का अनुरोध किया गया.

नगर निगम से शिकायत, नहीं हुई कोई कार्रवाई
इस संबंध में कॉलोनीवासियों ने कई बार नगर निगम से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. विभागीय लापरवाही के कारण मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है. यह मानवाधिकार का उल्लंघन है. इसकी मुख्य वजह पशुप्रेमी लोग भी बताए जा रहे हैं, जो आवारा कुत्तों को बाहर करने पर धमकी दे रहे हैं. मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर समस्या से अवगत कराया गया है, ताकि आवारा कुत्तों से हो रही परेशानी से लोगों को निजात मिल सके.

एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल का पालन करना जरूरी
आवारा कुत्तों की धरपकड़ करने के साथ ही एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं. इसमें कहा गया है कि आवारा कुत्तों को पकड़ने के दौरान रूल के अंतर्गत दिए गए प्रावधानों का पालन किया जाए. कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण के लिए भी रूल की गाइडलाइन को फॉलो किया जाए. आवारा कुत्तों से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जाए, जिससे कोई भी आवारा कुत्तों का शिकार नहीं बन सके. इसके बाद भी कुत्तों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है. नगर निगम प्रशासन के अस्पतालों में बंध्याकरण की व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है.

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