लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए दूसरे चरण का मतदान शुरू हो गया है. जिसमें 9 जिलों की 55 सीटों के लिए प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. वहीं इनमें कई सीटों पर मुस्लिम मतदाता बड़ी तादाद में हैं. ऐसे में राजनीतिक पार्टियों ने सामाजिक-जातीय गणित को ध्यान में रखकर प्रत्याशी उतारे हैं. इस नीति को बसपा ने भी प्राथमिकता दी है ऐसे में विभिन्न सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है लिहाजा, जीत का दम भर रहे प्रत्याशियों में अंदर ही अंदर शंकाएं भी घर कर रही हैं.
यूं तो दूसरे चरण की इन 55 सीटों में जंग बीजेपी और समाजवादी पार्टी-रालोद गठबंधन के बीच होने के दावे सियासी गलियारों में किये जा रहे हैं. वहीं, बसपा का भी इन जिलों की कई सीटों पर बड़ा वोट बैंक है. इसके साथ ही मुस्लिम बहुल इलाकों में मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर दलित-मुस्लिम कार्ड खेल दिया है. जिससे गठबंधन का गणित कई सीटों पर गड़बड़ा गया है और मुकाबला भी त्रिकोणीय हो गया है. अब परिणाम तो 10 मार्च को ही पता चलेगा. मगर, बसपा की रणनीति से विपक्षियों की नींद उड़ गई है.
इन जिलों में मुस्लिम मतदाताओं का रसूख
दूसरे चरण में कई जिले ऐसे हैं. जहां मुस्लिम आबादी काफी है. इसमें मुरादाबाद जहां 50.8 फीसद मुस्लिम, रामपुर में 50.6, सहारनपुर में 41.95 फीसद, बिजनौर में 43.04 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं. अमरोहा में 40.04 फीसद, संभल में 32.9 फीसद और बरेली में 34.54 फीसद मुस्लिम मतदाता भारी उलटफेर करने का माद्दा रखते हैं. ऐसे में इन 55 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं के ज्यादा होने की वजह से भाजपा को छोड़कर राजनीतिक पार्टियों ने मुस्लिमों को ज्यादा टिकट दिए हैं.
समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस ने इन 9 जिलों में 78 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है. जिनमें से 18 कैंडिडेट सपा और रालोद के गठबंधन से हैं. बहुजन समाज पार्टी से 23 कैंडिडेट सबसे ज्यादा हैं. कांग्रेस से 21 और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से 15 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने इन जिलों में किसी भी मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट नहीं दिया है. उनके सहयोगी दल की तरफ से एक मुस्लिम कैंडिडेट को टांडा स्वार की सीट से उतारा गया है.