लखनऊ: टैरिफ कानून के तहत गुरुवार देर शाम को बिजली कंपनियों ने अपनी वार्षिक राजस्व आवश्यकता की रिपोर्ट दाखिल कर दी है. सभी बिजली कंपनियों का कुल एआरआर लगभग एक लाख एक हजार करोड़ के करीब है. आरडीएसएस योजना में दाखिल 13.06 प्रतिशत लाइन हानियों के आधार पर प्रस्ताव दाखिल किया गया है, वहीं लगभग एक लाख 45 हजार मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता बताते हुए उसकी कुल लागत लगभग 80,000 करोड़ से 85,000 करोड़ के बीच में आंकी गई है. इसके पहले वर्ष 2023-24 में लगभग 92,547 करोड़ का वार्षिक राजस्व आवश्यकता दाखिल की गई थी.
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि देर रात वार्षिक राजस्व आवश्यकता को दाखिल कर जिस प्रकार से तैयारी है उसके आधार पर यह कहना बिल्कुल सही होगा कि वित्तीय वर्ष 2024 -25 में बिजली कंपनियां लगभग 11 हजार से 12 हजार करोड़ के बीच में गैप के आधार पर यूपी विद्युत नियामक आयोग से बिजली दरों में बढोतरी की साजिश (Report filed in regulatory commission) करेंगी.
भले ही बिजली कंपनियां बिजली दर का प्रस्ताव नहीं दाखिल किये हैं, लेकिन अगर 11 हजार करोड़ के ऊपर का गैप दाखिल कर आयोग से निर्णय लेने की बात कर रही है तो एक तरीके से यह बात साबित हो रही है कि बिजली कंपनियां भारी बिजली दर बढ़ोतरी चाहती हैं, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33,122 करोड़ रुपए सरप्लस निकल रहा है, जिसे लेकर उपभोक्ता परिषद ने पहले ही विद्युत नियामक आयोग में अपना जनहित प्रस्ताव दाखिल कर बिजली दरों में कमी का मुद्दा उठाया है.