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यूपी में लग सकता है बिजली का झटका! नियामक आयोग में रिपोर्ट दाखिल, दरें बढ़ाने की तैयारी में कंपनियां - यूपी विद्युत नियामक आयोग

गुरुवार को लखनऊ में बिजली कंपनियों ने अपनी वार्षिक राजस्व आवश्यकता की रिपोर्ट (Companies will increase electricity rates in UP) दाखिल की. बिजली कंपनियों के मुताबिक प्रदेश में करीबन एक लाख 45 हजार मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता है. यूपी विद्युत नियामक आयोग इन प्रस्तावों पर विचार करेगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 1, 2023, 7:50 AM IST

Updated : Dec 1, 2023, 9:13 AM IST

लखनऊ: टैरिफ कानून के तहत गुरुवार देर शाम को बिजली कंपनियों ने अपनी वार्षिक राजस्व आवश्यकता की रिपोर्ट दाखिल कर दी है. सभी बिजली कंपनियों का कुल एआरआर लगभग एक लाख एक हजार करोड़ के करीब है. आरडीएसएस योजना में दाखिल 13.06 प्रतिशत लाइन हानियों के आधार पर प्रस्ताव दाखिल किया गया है, वहीं लगभग एक लाख 45 हजार मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता बताते हुए उसकी कुल लागत लगभग 80,000 करोड़ से 85,000 करोड़ के बीच में आंकी गई है. इसके पहले वर्ष 2023-24 में लगभग 92,547 करोड़ का वार्षिक राजस्व आवश्यकता दाखिल की गई थी.

यूपी में एक लाख 45 हजार मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि देर रात वार्षिक राजस्व आवश्यकता को दाखिल कर जिस प्रकार से तैयारी है उसके आधार पर यह कहना बिल्कुल सही होगा कि वित्तीय वर्ष 2024 -25 में बिजली कंपनियां लगभग 11 हजार से 12 हजार करोड़ के बीच में गैप के आधार पर यूपी विद्युत नियामक आयोग से बिजली दरों में बढोतरी की साजिश (Report filed in regulatory commission) करेंगी.

यूपी विद्युत नियामक आयोग करेगा बिजली कंपनियों के प्रस्तावों पर विचार

भले ही बिजली कंपनियां बिजली दर का प्रस्ताव नहीं दाखिल किये हैं, लेकिन अगर 11 हजार करोड़ के ऊपर का गैप दाखिल कर आयोग से निर्णय लेने की बात कर रही है तो एक तरीके से यह बात साबित हो रही है कि बिजली कंपनियां भारी बिजली दर बढ़ोतरी चाहती हैं, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33,122 करोड़ रुपए सरप्लस निकल रहा है, जिसे लेकर उपभोक्ता परिषद ने पहले ही विद्युत नियामक आयोग में अपना जनहित प्रस्ताव दाखिल कर बिजली दरों में कमी का मुद्दा उठाया है.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियां भले ही गुपचुप तरीके से यूपी में बिजली दरों (electricity rates in up) में इजाफा करने के लिए भारी गैप के आधार पर वार्षिक राजस्व आवश्यकता दाखिल करने की जुगत में लगी है लेकिन उन्हें शायद ये ज्ञान नहीं है कि देश का कोई भी कानून इस बात की इजाजत नहीं देता कि जिस राज्य के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर सरप्लस पैसा निकल रहा है.

उस राज्य में कोई भी बिजली दर में बढ़ोतरी तब तक नहीं की जा सकती, जब तक विद्युत उपभोक्ताओं का सर प्लस पैसा बराबर न हो जाए. उन्होंने कहा कि भले ही बिजली कंपनियों ने वार्षिक राजस्व आवश्यकता गुपचुप तरीके से दाखिल कर दी है लेकिन लडाई कानून की परिधि में होगी. बिजली कंपनियों को यह पता होना चाहिए कि पिछले चार साल से बिजली दरों में बढ़ोतरी के लिए वह पूरा जोर लगाए हैं, लेकिन उपभोक्ता परिषद ने उन्हें नाकामयाब किया है आगे भी उपभोक्ता परिषद की जीत होगी.

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Last Updated : Dec 1, 2023, 9:13 AM IST

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