लखनऊ : अभी कुछ दिन पहले लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के हजारों उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर बिजली गिरने से बंद हो गए थे. उनके घर की बत्ती गुल हो गई थी. इससे यह सवाल खड़े हुए कि बिजली गिरने से भला स्मार्ट मीटर कैसे बंद हो सकते हैं. इसे लेकर जब चर्चाएं शुरू हुईं तो इस तरफ भी ध्यान गया कि मोबाइल फोन की तरह ही स्मार्ट मीटर में भी सिम कार्ड लगता है. दूर संचार कंपनियों से जांच करानी चाहिए कि क्या मोबाइल फोन की तरह स्मार्ट मीटर से भी खतरनाक तरंगें निकलती हैं जो बिजली को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं? जब इस पर अध्ययन किया गया तो सामने आया कि यह संभव है. लिहाजा, अब टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट ने निर्देश दिए हैं कि सभी बिजली कंपनियों को स्मार्ट मीटर लगाने से पहले इसकी टेस्टिंग करना अनिवार्य होगा. जब टेलीकम्युनिकेशन डिपार्मेंट सर्टिफिकेट देगा तभी बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं के घर पर स्मार्ट मीटर लगा सकेंगी.
उत्तर प्रदेश में 12 लाख स्मार्ट मीटर लगे हैं और तीन करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने हैं, जिनकी लागत लगभग 25 हजार करोड़ है, के आर्डर जारी हो चुके हैं. कुछ माह बाद मीटर लगने शुरू हो जाएंगे. स्मार्ट प्रीपेड मीटर में कम्युनिकेशन के लिए किसी भी मोबाइल की तरह सिमकार्ड लगता है. मॉडम लगता है और इसके बाद ऑटोमेटिक तरीके से काम करना शुरू करता है. इससे यह बात साबित हुई कि टेलीकॉम से संबंधित नेटवर्किंग के सभी उपाय जरूरी होते हैं जो भारत सरकार ने किए हैं. भारत सरकार संचार मंत्रालय के सचिव डॉ. नीरज मित्तल ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल को पत्र लिखकर कहा है कि स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी मीटर, मॉडेम, आईओटी गेट वे ट्रैकिंग डिवाइस, राउटर, लाइन, स्विच, फाइबर केबल सहित लगने वाले सभी टेलीकॉम नेटवर्किंग से संबंधित टेलीकॉम प्रोडक्ट की एक जनवरी 2024 से मैंडेटरी टेस्टिंग एंड सर्टिफिकेशन ऑफ टेलीकॉम इक्विपमेंट कराना अनिवार्य होगा. सभी स्मार्ट मीटर कंपनियां जिन भी मीटर निर्माता कंपनियों से मीटर लेकर उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाएंगी सबसे पहले उनको डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन से मैंडेटरी टेस्टिंग कराना होगा. इस संबंध में ऊर्जा मंत्रालय साइबर सिक्योरिटी डिवीजन की तरफ से आदेश जारी कर दिया गया है.