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लखनऊः मुफ्त राशन और कैश देने को लेकर माकपा का प्रदर्शन - मुफ्त राशन और कैश की मांग

यूपी की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को कम्युनिस्ट पार्टी ने लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हुए लोगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने सरकार से बेरोजगारों के हित में कई मांगें की.

माकपा का प्रदर्शन
माकपा का प्रदर्शन

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Published : Jun 16, 2020, 6:26 PM IST

लखनऊः भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पदाधिकारी इस समय धरने पर हैं. राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन के दौरान वह केंद्र सरकार से कई मांग कर रहे हैं. प्रदेश भर में मंगलवार को पार्टी की इकाईयों के नेतृत्व में धरना-प्रदर्शन हुआ. इस दौरान राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा गया.

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ने कोरोना महामारी से लड़ने और जनता को राहत देने के तौर-तरीके पर प्रहार करते हुए कहा है कि आश्वासनों के आडंबर और फर्जी आंकड़ों के आधार पर कोरोना महामारी का मुकाबला नहीं किया जा सकता है. इस तरीके से महामारी से बुरी तरह से त्रस्त जनता को राहत भी नहीं दिलाई जा सकती है. लॉकडाउन के चलते देश में 15 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गये हैं और मजदूरों, किसानों और अन्य मेहनतकशों की जिन्दगी मुश्किलों में पड़ी हुई है.

बेरोजगारों को दिया जाय 7500 रुपये
ऐसे लोगों के पास न रोजगार है और न ही जीविका चलाने का दूसरा कोई साधन. केंद्र सरकार को बिना देर किए उन तमाम लोगों के खाते में जो आयकर दायरे से बाहर हैं कम से कम छह माह तक 7500 रुपये हर महीने देना चाहिए. राज्य सचिव हीरालाल यादव ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकारी गोदाम अनाज से भरे हुए हैं, सरकार को इन गोदामों से राशन बाहर निकालना चाहिए और कम से कम 10 किलो अनाज प्रति व्यक्ति प्रतिमाह छह महीने तक निःशुल्क दिया जाना चाहिए.

बेरोजगारी भत्ता देने की मांग
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते बेरोजगार हुए करोड़ों लोगों को मनरेगा में कम से कम 200 दिनों का रोजगार दिया जाना चाहिए और जिन्हें रोजगार नहीं दिया जा सकता उन्हें बेरोजगारी भत्ता देना चाहिए. शहरी क्षेत्रों में भी रोजगार गारंटी योजना लागू की जानी चाहिए. यह भी मांग की गई कि मोदी सरकार धुंआधार तरीके से राष्ट्रीय संपत्तियों को बेंच रही है और सार्वजनिक क्षेत्रों जैसे बिजली, कोयला, रक्षा आदि का निजीकरण कर रही है. इसे तत्काल रोका जाना चाहिए.

हीरालाल यादव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डीजल-पेट्रोल के दामों में गिरावट के बावजूद मोदी सरकार लगातार डीजल-पेट्रोल के मूल्य में वृद्धि कर रही है. इसे रोकना चाहिए.

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