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यूपी के शिक्षामित्रों की समस्याओं के समाधान के लिए बनी कमेटी, 15 दिनों में मांगा प्रस्ताव, 2024 में मिल सकती है खुशखबरी

यूपी के शिक्षामित्रों की समस्याओं का निदान अभी तक नहीं निकल पाया है. सहायक अध्यापकों के बराबर सेवाएं देने के बावजूद उनको वेतन स्वरूप सिर्फ 10 हजार रुपये प्रतिमाह 11 महीने ही मिलते हैं. इस बाबत उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ की पहल पर सरकार ने चार सदस्यीय कमेट गठित प्रस्ताव मांगा है. इससे शिक्षामित्रों में एक बार फिर उज्जवल भविष्य की उम्मीद जगी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 29, 2023, 4:02 PM IST

Updated : Dec 29, 2023, 5:34 PM IST

जानकारी देते उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा मित्र संघ के अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला.

लखनऊ : प्रदेश के प्राथमिक विद्यालय में बीते 23 वर्षों से पढ़ा रहे शिक्षा मित्रों के स्थायीकरण और नियमितीकरण के लिए सरकार ने बीते दिनों चार सदस्य कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी शिक्षामित्रों की समस्या और उनकी मांगों के संबंध में 15 दिनों के अंदर सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. शासन की ओर से गठित समिति अगले साल जनवरी के पहले सप्ताह में शिक्षामित्रों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर सकता है. शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला ने बताया कि सरकार ने उनकी मांगों को लेकर शिक्षा निदेशक बेसिक की अध्यक्षता में चार सदस्य कमेटी का गठन किया है. जिसमें निदेशक बेसिक शिक्षा के अलावा निदेशक एनसीईआरटी, वित्त नियंत्रक मध्यान भोजन प्राधिकरण और परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज को सदस्य बनाया गया है.

निदेशक SCERT सरिता त्रिपाठी से मिले शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारी.
पूरे प्रदेश में हैं डेढ़ लाख से अधिक शिक्षा मित्र :उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला ने बताया कि उत्तर प्रदेश के पांच लाख से अधिक प्राथमिक विद्यालयों में लगभग डेढ़ लाख से अधिक शिक्षा मंत्र पिछले 23 वर्षों से लगातार काम कर रहे हैं. इन शिक्षामित्रों में अधिकतर किसान और आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीण परिवेश के लोग हैं. विद्यालय में पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों में भी अपना 100% योगदान देने के बाद भी शिक्षामित्र को मानदेय के तौर पर ₹10 हजार प्रतिमाह सिर्फ 11 महीने का ही मिलता है. प्रदेश के शिक्षामित्रों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है. आर्थिक समस्या के चलते वे अपने बुजुर्ग माता-पिता की दवाई, बच्चों की पढ़ाई और परिवार का पालन पोषण करने में असमर्थ हैं. जिसकी वजह से वे मानसिक रूप से परेशान हैं और प्रतिदिन औसतन दो से तीन शिक्षामित्र असमय मृत्यु का शिकार हो रहे हैं. हमारी मांग है कि नई शिक्षा नीति में शिक्षामित्रों को सम्मिलित करते हुए नियमित किया जाए. नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी होने तक सभी शिक्षामित्रों को समान कार्य व समान वेतन दिया जाए.
निदेशक SCERT सरिता त्रिपाठी से मिले शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारी.


दूसरे प्रदेशों में दिया जाता है सामान्य कार्य के बराबरी का दर्जा :शिवकुमार शुक्ला ने बताया कि बिहार में नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मचारी घोषित कर दिया गया है. इसी तरह राजस्थान में संविदा शिक्षकों को जो प्राथमिक विद्यालय में थे उनको 51 हजार 600 का वेतनमान दिया जा रहा है. इसी तरह चंडीगढ़ में 38 हजार और दिल्ली में 34 हजार 400 रुपये प्रति महीने दिया जा रहा है. उत्तराखंड सरकार ने सभी शिक्षामित्रों को टेट कराकर परमानेंट कर दिया गया है. जबकि उत्तर प्रदेश में 50 हजार से अधिक टेट पास शिक्षा मित्र भी सहायक अध्यापक नहीं बनाए गए हैं.

Last Updated : Dec 29, 2023, 5:34 PM IST

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