लखनऊ: प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में गठित समिति की बैठक बुधवार को आयोजित की गई. इसमें कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लान्ट्स की स्थापना को प्रोत्साहित करने के संबंध में विचार किया. बैठक में समिति को बताया गया कि इसके लिए भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के बिन्दुओं पर अतिरिक्त ऊर्जा स्त्रोत विभाग द्वारा प्रस्तावित उप्र राज्य जैव ऊर्जा नीति-2020 के ड्राफ्ट में प्रावधान किया गया है.
प्रदेश सरकार को करनी है व्यवस्था
बैठक में बताया गया कि भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव ने उत्तर प्रदेश में कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लान्ट्स की स्थापना के लिए प्रदेश सरकार से बायोगैस के संग्रहण, परिवहन, सीबीजी प्लान्ट्स के बेसमेन्ट एरिया के चिन्हांकन, बायोमास के संग्रह के लिए भूमि की उपलब्धता, प्रेस मड की उपलब्धता, नगरीय ठोस अपशिष्ट आधारित संयंत्रों की स्थापना आदि के सम्बन्ध में कदम उठाने अपेक्षा की है.
कृषि अपशिष्ट को जलाने से रोकना है उद्देश्य
वर्तमान में कृषि अपशिष्ट को खेतों में ही जला दिए जाने से पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो रहा है. इसके भूमि की उत्पादकता कम हो रही है. इसके समाधान के लिए अपशिष्ट आधारित जैव ऊर्जा उद्यमों को बढ़ावा देना जरूरी है. इसके लिए उत्तर प्रदेश जैव ऊर्जा नीति (ड्राफ्ट) तैयार की गई है. इसके माध्यम से अपशिष्ट आधारित विद्युत ऊर्जा, बायो सीएनजी और बायोकोल आदि के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए आवश्यक सुविधाएं राज्य सरकार उपलब्ध कराएगी.
इन इकाइयों की होनी है स्थापना
प्रस्तावित नीति में 100 मेगावाट क्षमता के पैडी स्ट्रा (पराली) आधारित विद्युत उत्पादन इकाइयों की स्थापना, बायो सीएनजी आधारित संयंत्रों की स्थापना और बायोकोल के उत्पादन के लिए अनुदान इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में छूट आदि सुविधाएं प्रस्तावित की गई हैं. बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर विभिन्न विभागों की राय प्राप्त कर सक्षम स्तर से अनुमोदन प्राप्त किया जाए.