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हास्य समारोह 'लन्तरानी' में खूब लगे ठहाके, जानें किसे मिला खास सम्मान - लन्तरानी

कहकहे, तालियां, ठहाके और वाह-वाह का शोर, यही नजारा आज गोमतीनगर के लोहिया पार्क के मुक्ताकाशी मंच पर दिखाई दिया.अवधी विकास संस्थान और साहित्यगंधा की ओर से 1 अप्रैल को हास्य समारोह' लन्तरानी' का आयोजन किया गया. इसमें ग्वालियर के तेज नारायण बेचैन को 'लन्तरानी सम्मान' प्रदान किया गया.

हास्य समारोह ‘लन्तरानी’.
हास्य समारोह ‘लन्तरानी’.

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Published : Apr 2, 2021, 4:05 AM IST

Updated : Apr 2, 2021, 6:29 AM IST

लखनऊ: कहकहे, तालियां, ठहाके और वाह-वाह का शोर, यही नजारा आज गोमतीनगर के लोहिया पार्क के मुक्ताकाशी मंच पर दिखाई दिया.अवधी विकास संस्थान और साहित्यगंधा की ओर से 1 अप्रैल को हास्य समारोह 'लन्तरानी' का आयोजन किया गया. इसमें ग्वालियर के तेज नारायण बेचैन को 'लन्तरानी सम्मान' प्रदान किया गया.

उपहार में मिला गरम मसाला
अनूठे ढंग से बांटे गए लन्तरानी अवार्ड का उपस्थित दर्शकों ने ठहाकों के साथ आनन्द लिया. इस अवार्ड को प्राप्त करने वाला अतिथि स्वयं एक पर्चा उठाता. पर्ची पर लिखा हुआ उपहार उसे दिया जाता. उपहार में किसी को गरम मसाला, किसी को मिर्च पाउडर, किसी को सब्जी मसाला तो किसी को धनिया पाउडर दिया गया. 'लन्तरानी' के संस्थापक स्माईलमैन सर्वेश अस्थाना और संचालक मुकुल महान उस उपहार से वर्तमान स्थितियों को जोड़ते हुए कोई चुटीली टिप्पणी करते और पूरा प्रांगण ठहाकों से गूंज उठता.

तेज नारायण बैचेन को मिला 'लंतरानी' सम्मान
मस्ती और ठहाकों के बीच ग्वालियर के प्रसिद्ध हास्य कवि तेज नारायण बेचैन को 'लंतरानी सम्मान-2021' से नवाजा गया. इसके साथ ही हास्य से परिपूर्ण इस आयोजन में पत्नी भक्त सम्मान और पत्नी चाटुकार सम्मान भी दिया गया. इन सम्मानों को प्रदान करते समय पूरा माहौल ठहाकों से गूंज उठा. अन्त में श्रोताओं को भी लकी ड्रॉ के माध्यम से नकद पुरस्कार राशि देकर सम्मानित किया गया. इस अवसर पर नगर के तमाम पत्रकार, साहित्यकार आदि लोग मौजूद रहे.

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फिर चले व्यंग्य के बाण
मुकुल महान के चुटीले संचालन में हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें आमंत्रित हास्य कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से लन्तरानी को आगे बढ़ाते हुए श्रोताओं से देर तक ठहाके लगवाए.

ग्वालियर के हास्य कवि तेज नारायण बेचैन ने 'इससे बड़ी लंतरानी क्या होगी,सूर्योदय लाने का वादा वे लोग कर रहे हैं, जिनके खुद के चुनाव चिन्ह लालटेन हैं..' सुनाकर व्यवस्था पर तंज किया.

बाराबंकी के धुरंधर हास्य कवि डॉ. अनिल बौझड़ ने कहा...

न समझौ बात ठिठोली कै, परधान चुनौ हमजोली कै।
आपन सब बात सुनाय दियौ, न मानै कान घुमाय दियौ...

बाराबंकी के ही कवि गजेन्द्र प्रियांशु ने कहा...

रंग से रंग मिले इतने खुद रंग में डूबी नहा गई होली,
प्रीति पुरातन जाग गई फिर प्रीति पुनीत जगा गई होली
साजन हैं जिनके घर में उनके दुख दर्द भगा गई होली,
दूर बसे जिनके उनके बस देह में आग लगा गई होली


अयोध्या से आए कवि ताराचन्द तन्हा ने कहा...

अइसन बानी बोलिए, रोजै झगड़ा होय !
वोसे कब्भौ न भिड़ेव, जे तुहसे तगड़ा होय !!
जोगीरा सा रा रा रा जोगीरा सा रा रा रा

हास्य कवि अशोक झंझटी ने अपनी हास्य क्षणिकाएं सुनाकर ठहाके लगवाए।

पंकज प्रसून ने अपने अंदाज में कहा...
जनता बस चुटकुलो के पीछे बावरी हो रही है
ट्रकों के पीछे ही अब असली शायरी हो रही है
मैने पूछा आखिर कब तक महंगाई यह कम होगी
वह बोले चुप बैठ यहां पे पावरी हो रही है..

Last Updated : Apr 2, 2021, 6:29 AM IST

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