लखनऊ: राजधानी के नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के तितली पार्क में अगले महीने से विभिन्न प्रकार की तितलियां दिखना शुरू हो जाएंगी. कोल्ड ब्लड होने के कारण ज्यादातर तितलियां सर्दियों में जीवित नहीं रह पातीं. इस वजह से वह इस मौसम में कम दिखाई पड़ती हैं. गर्मी के साथ एक बार फिर से तितली पार्क में रंग-बिरंगी तितलियां लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेंगी. चिड़िया घर का तितली पार्क वृत्ताकार शेप में बना हुआ है जोकि दो एकड़ में फैला हुआ है. यहां हर तितली के लिए अलग-अलग खेमा बनाया गया है.
तितलियों के लिए जरूरी है होस्ट और नेक्टर प्लांट
तितलियों के लिए होस्ट और नेक्टर प्लांट की आवश्यकता होती है. होस्ट प्लांट में तितली अपने अंडे देती है. इसके बाद कैटरपिलर और प्यूपा बनता है, फिर तितली आती है. मदार, रेढ़, नींबू, अनार, संतरा, हिमालियन पेंटास, गुड़हल आदि होस्ट प्लांट होते हैं. नेक्टर प्लांट से तितलियां अपना भोजन लेती हैं. इसमें एग्जोरा, कास्मोस, लैंटाना, गुड़हल, ग्लैडिओलस, पॉपी, सदाबहार, बसैंदा आदि नेक्टर प्लांट होते हैं. यह ताजे और सड़े फलों से भी रस लेती हैं.
यह भी पढ़ें :मूट कोर्ट एसोसिएशन की तीन दिवसीय प्रतियोगिताओं का हुआ शुभारंभ
यहां मिलेंगी इतनी सारी तितलियां
प्लेन टाइगर, स्ट्राइप टाइगर, कामन इमीग्रेंट, डैनियड एग फ्लाई, जैज्बेल, जेब्रा ब्लू जैसी तितलियां अगले महीने से दिखना शुरू हो जाएंगी. इन दिनों पेंजी, कामन क्रो, चाकलेट पेंजी, ग्रास यलो देखने को मिल रही हैं. पेंटेड लेडी एक मात्र है जो दुनियाभर में पाई जाती है. वह भी लखनऊ जू में दिखाई देती है. यह काफी सुंदर भी होती हैं. इसके अलावा कामन क्रो एशियन घाट की ओर से आती हैं. अमेरिका की मोनार्क तितली सबसे लंबे माइग्रेशन के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है.
तितलियां प्रदूषण के स्थान पर नहीं देतीं दिखाई
तितलियां तो बहुत जगह पाई जाती हैं मगर जहां उनको तितली पार्क जैसा माहौल मिलता है, वो वहां अपना आशियाना बना लेती हैं. तितली पार्क में किसी भी प्रकार का केमिकल, पेस्टीसाइड और फर्टिलाइजर इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इससे तितलियों के मरने का खतरा रहता है. केवल गोबर खाद का उपयोग होता है. इसके अलावा जहां प्रदूषण होता है, उस स्थान पर तितलियां कभी नहीं दिखाई देतीं.
औसत आयु 7 से 15 दिन
माइग्रेंट तितली उड़कर दूसरे स्थान पर पहुंचकर अंडे देती हैं. उसके बाद उसकी मृत्यु हो जाती है. फिर अंडे से जो तितली निकलती हैं, वह आगे चलती हैं. उन्हें पहले से ही पता होता है कि उन्हें किस स्थान पर पहुंचना है. तितलियों का माइग्रेशन पुश्तों में होता है. तितली की औसत आयु हफ्ते से 15 दिन तक की होती है.
यह भी पढ़ें :लविवि में संचालित मूट कोर्ट प्रतियोगिता में दूसरे दिन 42 टीमों ने लिया हिस्सा