लखनऊ : दिल्ली विश्वविद्यालय की तर्ज पर लखनऊ विश्वविद्यालय में शुरू की गई केंद्रीकृत प्रवेश व्यवस्था से कॉलेज दूरी बना रहे हैं. वह प्रवेश के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. तमाम कोशिशों के बाद भी सिर्फ 24 कॉलेज इसमें शामिल होने के लिए आगे आए हैं. जानकारों की मानें तो बीते वर्ष इस प्रक्रिया में शामिल हुए कॉलेजों को अच्छे नतीजे नहीं मिल पाए. इसके चलते वह अब दूरी बना रहे हैं.
यह अपनाई गई थी प्रक्रिया
लखनऊ विश्वविद्यालय ने पिछले साल दाखिले के लिए केंद्रीकृत प्रवेश व्यवस्था लागू की थी. इसके तहत महाविद्यालयों को एक निर्धारित शुल्क लेकर एलयू की प्रवेश प्रक्रिया से जोड़ा गया था. दाखिला लेने के इच्छुक अभ्यर्थियों को सिर्फ लखनऊ विश्वविद्यालय का फॉर्म भरना था. काउंसलिंग के दौरान उन्हें लखनऊ विश्वविद्यालय समेत इस प्रक्रिया में शामिल हुए महाविद्यालयों में भी दाखिले का विकल्प दिया गया था.
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LU से कॉलेजों ने बनाई दूरी, केंद्रीकृत प्रवेश से जुड़ने से किया इनकार - लखनऊ एजुकेशन न्यूज
दिल्ली विश्वविद्यालय की तर्ज पर लखनऊ विश्वविद्यालय में शुरू की गई केंद्रीकृत प्रवेश व्यवस्था से कॉलेज दूरी बना रहे हैं. वह प्रवेश के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. तमाम कोशिशों के बाद भी सिर्फ 24 कॉलेज इसमें शामिल होने के लिए आगे आए हैं. बताया जाता है कि बीते वर्ष इस प्रक्रिया में शामिल हुए कॉलेजों को अच्छे नतीजे नहीं मिल पाए. इसके चलते वह अब इस प्रक्रिया से दूरी बना रहे हैं.
एक ही साल में फेल हो गई व्यवस्था
दिल्ली विश्वविद्यालय की तर्ज पर अपनाई गई इस केंद्रीकृत प्रवेश प्रक्रिया में लखनऊ विश्वविद्यालय दूसरे साल ही फेल होता नजर आ रहा है. विश्वविद्यालय ने करीब 1 महीने पहले कॉलेजों को इस केंद्रीकृत प्रवेश प्रक्रिया से जोड़ने का विकल्प दिया था. इससे अभी तक सिर्फ 24 कॉलेज ही जुड़ पाए. जबकि, सिर्फ लखनऊ में लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों की संख्या करीब 170 है. नए जुड़े जिलों के कॉलेजों को भी जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 500 से ज्यादा होगी. फिलहाल विश्वविद्यालय ने कॉलेजों को एक और मौका देने का फैसला लिया है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कॉलेज के लिए जुड़ने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दिया गया.
खराब स्थिति के ये हो सकते हैं कारण
- केंद्रीकृत प्रवेश प्रक्रिया के नतीजे पिछले साल अच्छे नहीं रहे हैं. करीब 22000 सीट के साथ कई कॉलेज लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े थे. बड़ी संख्या में आवेदन मिलने के बाद भी विश्वविद्यालय इन्हें 10% स्टूडेंट्स भी नहीं दे पाया था.
- विश्वविद्यालय इस प्रक्रिया से जुड़ने वाले कॉलेजों से मोटी फीस ले रहा है. यह शुल्क प्रोफेशनल कोर्सों के लिए एक लाख और सामान्य पाठ्यक्रम के लिए 50-50 हजार रुपये तक है. इतनी मोटी फीस के बाद भी छात्र न मिलने से इस बार कॉलेज हतोत्साहित हैं.
- कॉलेजों का कहना है कि विवि प्रशासन द्वारा बीएससी बायो व मैथ्स कोर्स की मान्यता एक साथ दी जाती है. लेकिन केंद्रीकृत प्रवेश प्रक्रिया में शामिल होने के लिए दोनों के लिए अलग-अलग शुल्क वसूले जा रहे हैं.