लखनऊ: यूपी की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां अब स्मार्टफोन से लैस होकर काम करेंगी. लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक लाख 23 हजार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को स्मार्टफोन वितरण करने के कार्यक्रम की शुरुआत की. सीएम ने अपने हाथ से 20 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को स्मार्टफोन भेंट किया. साथ ही नवजात बच्चों की वृद्धि का स्तर मापने के लिए प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी केंद्र को नवजात वृद्धि निगरानी यंत्र (इंफेंटोमीटर) भी वितरित किए गए. इस अवसर पर सीएम ने एक मोबाइल एप को भी लांच किया. सीएम ने कहा कि स्मार्ट फोन में इंटरनेट के लिए 200 रुपये की राशि भी दी जाएगी. उन्होंने कहा कि स्मार्टफोन आपको और स्मार्ट बनाएगा, और स्मार्टनेस ही आपकी पहचान होनी चाहिए.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज से चार साल पहले क्या स्थिति थी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मन में भय होता था, पहले इनको गलत तरीके से देखा जाता था, लेकिन आज इनका सम्मान बढ़ा है. प्रधानमंत्री का संकल्प था कि एक पारदर्शी और ईमानदार सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तकनीक का सहारा लेंगे. तकनीक के लिए संसाधन उन लोगों तक पहुंचाना जरूरी है जो योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाते हैं. आज यूपी के बारे में लोगों की धारणा बदली है, हर विभाग ने कुछ न कुछ नया किया है.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मैं हमेशा कहता था कि हम तकनीकी के माध्यम से शासन की योजनाओं को हर नागरिक तक पहुंचाने का कार्य करें, तकनीकी के लिए आवश्यक संसाधन उन लोगों को पहुंचाने का कार्य करें जो समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का कार्य करते हैं. सीएम ने कहा कि आज का कार्यक्रम महत्वपूर्ण है, यह स्मार्टफोन वितरण या डिवाइस वितरण का कार्यक्रम ही नहीं है, बल्कि ये सुशासन को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का है. 4 साल पहले हम भय खाते थे कि आंगनबाड़ी बहने न जाने कब धरना प्रदर्शन पर बैठ जाएं. जबकि अब धारणाएं बदली हैं, आपत्ति आने पर यही बहनें आगे आई थीं. उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति कितना भी बुद्धिमान हो, जबतक उसका काम लोककल्याण के लिए न आए तब तक कोई अस्तित्व नहीं है.
सीएम ने कहा कि एक समय यूपी को फोकस करके मीडिया ट्रायल शुरू हो गया था, जबकि कोरोना अन्य राज्यों में भी था, लेकिन हम पर हर ओर से हमले करके और कठघरे में खड़ा करने की कोशिश हुई थी. तब हमने तय किया कि निगरानी समिति का गठन किया जाए, हमने दूसरी लहर में अप्रैल के महीने में निगरानी समिति का गठन कर दिया था, इसमें सभी विभागों ग्रामीण विकास, पंचायती राज़ आदि के लोग थे, 10 से 12 लोगों की ये टीम यही आंगनबाड़ी की बहनें लोगों के बीच जाकर पड़ताल, जांच करने जाती थी, फिर ये रिपोर्ट शाम तक मेरे पास आती थी. देखते ही देखते ये कोरोना जो एक महामारी था, उस पर नियंत्रण हुआ, और यूपी देश के लिए मॉडल बना.