लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व राज्यपाल लालजी टंडन की जयंती के मौके पर कालीचरण डिग्री कॉलेज के प्रांगण में लालजी टंडन की प्रतिमा का अनावरण किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें याद करते हुए कहा कि पार्षद से लेकर राज्यपाल तक उनकी भूमिका व्यवहारिक रही. वे सादगी और शालीनता की मिसाल बनी रहे. उनका सामाजिक योगदान अतुलनीय रहा. राजनीत में भी उन्होंने शिखर तक का सफर किया, जो कि आदर्श है.
वहीं, जयंती के मौके पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा, केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर, पूर्व मंत्री डॉक्टर महेंद्र सिंह, पूर्व मंत्री और विधायक आशुतोष टंडन के अलावा बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे. लालजी टंडन की विशाल प्रतिमा का सभी ने मिलकर अनावरण किया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री, पूर्व राज्यपाल, पूर्व सांसद टंडन की जयंती पर ह्रदय से अभिनंदन है. टंडन जी की प्रतिमा का अनावरण हुआ. इसके लिए फाउंडेशन और कॉलेज को बधाई है. जीवन मे महानता का क्रम ऊपर से नीचे नहीं, शून्य से शिखर की ओर जाता है. लखनऊ के पार्षद से संसद की यात्रा टंडन जी ने की है. वे शून्य से शिखर की ओर बढ़ते गये, राज्यपाल बनने पर जब उनको पटना जाना पड़ा तो मैने उनकी आत्मीयता राजभवन में देखी है.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 'उनके बिहार राजभवन में लखनऊ के कई लोग मौजूद थे. उनका कहना था कि मुझे छोड़ना नहीं आता. पटना के बाद टंडन जी भोपाल गये. उन्होंने वही आत्मीयता बनाए रखी. श्रीराम मंदिर आंदोलन के समय प्रभारी मंत्री टंडन जी ही थे. उस समय कार्यसेवकों और संतो के साथ व सरकार के साथ समन्वय बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने कुंभ के आयोजन मे भी मंत्री रहते काफी कुशलता से आयोजित करवाया. आज जब हम यहां टंडन जी को स्मरण कर रहे हैं. इस कालीचरण कॉलेज के साथ उनका संबंध काफी महत्वपूर्ण रहा है. आजादी के आंदोलन के समय 1916 मे तिलक जी ने इसी लखनऊ मे एक आवाहन किया था. आजादी हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है'.
उन्होंने कहा कि ये कॉलेज उसी दौर मे 1905 मे स्थापित किया गया. टंडन जी ने इस कालीचरण कॉलेज के भवनों का निर्माण पुनरुद्धार करवाया. ये कॉलेज आजादी आंदोलन का साक्षी रहा है. आज इस संस्थान मे साढ़े 5 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. इन संस्थाओ का आजादी में काफी योगदान रहा है. यहां टंडन जी की प्रतिमा का स्थापित करवाकर फाउंडेशन ने उत्कृष्ट कार्य किया. टंडन जी ने सामान्य कार्यकर्ता से शिखर की यात्रा की. अभिमान उन्हें कभी छुआ तक नहीं, उनकी सादगी, आत्मीयता हमेशा बनी रही.