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किसानों की आय बढ़ाने को लेकर संवाद, सीएम योगी बोले- कृषि एवं कृषि कल्याण के क्षेत्र में हुआ अभूतपूर्व परिवर्तन

सीएम योगी ने आज किसानों की आय बढ़ाने को लेकर संवाद किया. न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य प्रदान करने के साथ ही, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत किसानों को आर्थिक सहायता सुलभ कराई गई.

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Published : Sep 6, 2021, 8:06 PM IST

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अपने सरकारी आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के सम्बन्ध में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त किए. योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में देश ने सर्वांगीण विकास के नए प्रतिमान स्थापित किए हैं. कृषि एवं कृषि कल्याण के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है. देश में पहली बार मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए. न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य प्रदान करने के साथ ही, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत किसानों को आर्थिक सहायता सुलभ कराई गई. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना सहित विभिन्न योजनाएं प्रभावी ढंग से क्रियान्वित की गईं.

वर्चुअल माध्यम से 03 चरणों में इस सम्मेलन का आयोजन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है. सम्मेलन को केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी सम्बोधित किया.

मुख्यमंत्री ने सम्मेलन के आयोजन के लिए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री तथा केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री के प्रति आभार जताते हुए कहा कि इस आयोजन से राज्यों को कृषि एवं किसान कल्याण के सम्बन्ध में रणनीति बनाने में सहायता मिलेगी. इस प्रकार निर्मित रणनीति का सफल क्रियान्वयन करके किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. विषम परिस्थितियों में भी कृषि और किसानों का कल्याण प्रदेश सरकार का मुख्य लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वैश्विक महामारी देश के लिए चुनौतीपूर्णं रही है. स्वस्थ्य जीवन, व्यक्ति की सबसे बड़ी आवश्यकता है. समुचित पोषण एवं सुरक्षित भोजन वर्तमान परिवेश की सबसे बड़ी चुनौती है. कोविड कालखण्ड में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किसानों द्वारा अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जी, फल, दूध आदि की प्रचुर उपलब्धता आमजन को सुनिश्चित कराई गई है.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत लगभग साढ़े चार वर्षाें में प्रदेश ने खाद्यान्न उत्पादन में नया रिकॉर्ड स्थापित किया है. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में प्रति वर्ष धान का औसत उत्पादन 139.40 लाख मीट्रिक टन था. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह औसत बढ़कर 163.45 लाख मीट्रिक टन हो गया. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में धान की खरीद 123.61 लाख मीट्रिक टन रही. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह बढ़कर 214.56 लाख मीट्रिक टन हो गई. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में 14,87,519 कृषकों को 17,119 करोड़ रुपए धान मूल्य का भुगतान हुआ. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष की अवधि में 31,88,529 कृषकों को अब तक 37,885 करोड़ रुपए धान मूल्य का भुगतान किया जा चुका है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्तमान सरकार द्वारा परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत 36 जनपदों में 585 क्लस्टर के 11,700 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक खेती कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. प्राकृतिक खेती के क्रियान्वयन हेतु 35 जनपदों के 38,670 हे. क्षेत्रफल की 3 वर्ष के लिए 197 करोड़ रुपए की कार्य योजना भारत सरकार को प्रेषित की गई है. नमामि गंगे परियोजना के अन्तर्गत 3,309 क्लस्टर (66,180 हे.) स्थापित कर 1,03,442 कृषकों को लाभान्वित किया गया है.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा कृषि अवसंरचना निधि की स्थापना की गयी है, जिससे कृषक अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें. इस उद्देश्य को पूर्णं करने हेतु भारत सरकार द्वारा फार्मगेट एवं समेकन केन्द्र (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादन संगठन, कृषि उद्यमी, स्टार्टअप, मण्डी समिति, एफपीओ) के वित्त पोषण के लिए एक लाख करोड़ रुपए की वित्तीय सुविधा कृषि अवसंरचना निधि द्वारा प्रदान की गयी है. उन्होंने सुझाव दिया कि कृषि अवसंरचना निधि का पोर्टल अंग्रेजी भाषा में होने के कारण कृषकों को योजना समझने एवं आवेदन करने में कठिनाई हो रही है. अतः पोर्टल को हिन्दी भाषा में भी संचालित कराया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि अवस्थापना निधि के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के पैक्स को नाबार्ड की मल्टी सर्विस सेण्टर योजना के तहत लगभग 1100 पैक्स के आवेदन पोर्टल पर प्राप्त हुए हैं. इनमें से नाबार्ड द्वारा 549 पैक्स के लगभग 120 करोड़ रुपए की डीपीआर स्वीकृत की गई है. इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश द्वितीय स्थान पर है. लगभग 45 करोड़ रुपए की लागत के 250 पैक्स के प्रस्ताव स्वीकृत हैं. 170 पैक्स को, प्रति पैक्स 4.25 लाख रुपए की दर से प्रथम किस्त के रूप में कुल 10 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा देश के किसानों का एक डाटाबेस तैयार किए जाने की योजना है, जिसमें किसानों के कल्याण के लिए संचालित सभी योजनाओं को लिंक किया जाएगा. किसानों को समय-समय पर एडवाइजरी उपलब्ध कराी जाएगी तथा उनके उत्पादों के उचित विपणन की व्यवस्था की जाएगी. पायलट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के 3 जनपदों- मथुरा, मैनपुरी तथा हाथरस को सम्मिलित किया गया है.

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