लखनऊ : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज तीसरी पुण्य तिथि है. लम्बी बीमारी के बाद साल 2018 में उनका निधन हो गया था. सीएम योगी ने आज अटल जी की पुण्य तिथि की मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर अटल जी को श्रद्धांजलि दी है. सीएम ने कहा कि प्रखर राष्ट्रवादी, लोकप्रिय जननेता, भारतीय राजनीति में अपने आचरण से लोकतांत्रिक मूल्यों की पुनर्स्थापना करने वाले राजर्षि, पूर्व प्रधानमंत्री, 'भारत रत्न' श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि. आपका त्यागमय जीवन हम सभी के लिए एक महान प्रेरणा है.
सीएम योगी ने अटल जी को दी श्रद्धांजलि इसके साथ ही डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी ट्वीट कर अटल जी को श्रद्धांजलि दी है. डिप्टी सीएम ने कहा कि राष्ट्रसेवा में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले, हमारे प्रेरणा स्रोत, भारत के यशस्वी पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के पितामह, भारत रत्न परम श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि.
अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने. उन्होंने पहली बार 16 मई 1996 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन, ये सरकार ज्यादा दिन नहीं चल सकी और बहुमत नहीं होने की स्थिति में 1 जून 1996 को अटल जी ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. इसके कुछ समय बाद देश में मध्यावधि चुनाव हुए, जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीएन जीत दर्ज की और अटल जी ने एक बार फिर 19 मार्च 1998 को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन, सरकार भी ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी और करीब 13 महीने बाद 26 अप्रैल 1999 को अटल जी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद देश में फिर से मध्यावधि चुनाव हुए. जिसमें एक बार फिर अटल जी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी. अटल जी ने 13 अक्तूबर 1999 को तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. इस बार एनडीए की सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया और 22 मई 2004 तक अटल जी देश के प्रधानमंत्री रहे.
अटल जी करीब 5 दशकों तक देश की राजनीति में सक्रिय रहे. इस दौरान वे 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सांसद रहे. इसके अलावा वे दो बाद राज्यसभा के सदस्य रहे.
अटल जी मूल रूप से आगरा जनपद के बटेश्वर के रहने वाले थे. उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था. अटल जी के पिता पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे. अटल जी की बीए तक की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई. इसके बाद उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एमए किया. इसके बाद उन्होंने कानपुर में ही एलएलबी की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये. डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे.
अटल जी एक राष्ट्रवादी नेता होने के साथ कुशल राजनीतिज्ञ और प्रखर वक्ता भी थे. लोग अटल जी को उनके जोरदार भाषणों के लिए हमेशा याद करते हैं. ऐसे ही एक भाषण उन्होंने 28 मई 1996 में संसद में विश्वास प्रस्ताव के दौरान दिया था. अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों को सुनने के लिए विपक्ष भी शांत बैठा करता था. उनके भाषण हमेशा ही शानदार होते थे. लोग तो यहां तक कहते हैं कि अब उन सा भाषण देने वाला कोई नेता रहा ही नहीं. इसके साथ ही अटल जी एक अच्छे कवि भी थे. उनकी कविताओं की पुस्तक आज भी काफी लोकप्रिय है. देश के सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.