लखनऊ: देश में ऐसे बहुत से लोग हुए हैं, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में सदा के लिए दर्ज हो गया है. भारत में हॉकी के स्वर्णिम युग के साक्षी मेजर ध्यानचंद का नाम भी ऐसे ही महान लोगों में शामिल है. उन्होंने अपने खेल से भारत को ओलंपिक खेलों की हॉकी स्पर्धा में स्वर्णिम सफलता दिलाने के साथ ही परंपरागत एशियाई हॉकी का दबदबा कायम किया. आज 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) की जयंती है. इस दिन पर सीएम योगी (cm yogi) ने उन्हें याद करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि (tribute) दी. सीएम ने कहा कि आपकी प्रतिभा व राष्ट्रभक्ति प्रत्येक भारतवासी के लिए प्रेरणास्पद है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (cm yogi adityanath) ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'अद्भुत खेल प्रतिभा से अंतरराष्ट्रीय पटल पर मां भारती को अनेकानेक बार गौरवभूषित करने वाले हॉकी के जादूगर, असंख्य खेल प्रेमियों के आदर्श, पद्म भूषण से सम्मानित मेजर ध्यान चंद को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि'.
आपकी प्रतिभा व राष्ट्रभक्ति प्रत्येक भारतवासी के लिए प्रेरणास्पद है. विश्व हॉकी जगत के महानतम खिलाड़ी मेजर ध्यान चंद की गौरवपूर्ण स्मृति को समर्पित 'राष्ट्रीय खेल दिवस' के अवसर पर देश के सभी खिलाड़ियों को हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई.
आपको बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न का नाम अब मेजर ध्यानचंद के नाम पर कर दिया है. भारत में हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है और इस दिन खिलाड़ियों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है.
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) का जन्म 29 अगस्त को हुआ था. उनकी जयंती के दिन देश में राष्ट्रीय खेल दिवस (national sports day) मनाया जाता है. 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद के राजपूत घराने में ध्यानचंद का जन्म हुआ था. उन्होंने हॉकी में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई थी. उनको सम्मान देने के लिए हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है. मेजर ध्यानचंद को फुटबॉल में पेले और क्रिकेट में डॉन ब्रैडमैन के समकक्ष माना जाता है.
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जानकारी के मुताबिक ध्यानचंद ने तीन बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने तीनों बार हॉकी में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया. दूसरे विश्व युद्ध से पहले ध्यानचंद ने लगातार तीन ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया. ये ओलंपिक साल 1928 में एम्सटर्डम, 1932 में लॉस एंजिल्स और 1936 में बर्लिन में खेले गए थे. मेजर ध्यानचंद को साल 1965 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
देश में ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग लंबे समय से उठ रही है. लोगों का मानना है कि उनके खेल की वजह से भारत का जो नाम पूरी दुनिया में हुआ, इस वजह से वो इसके हकदार हैं. वो जिस अंदाज में हॉकी खेलते थे लोगों को हैरान कर देते थे. हॉलैंड में एक मैच के दौरान हॉकी में चुंबक होने की आशंका में उनकी स्टिक तोड़कर देखी गई थी. जापान में एक मैच के दौरान उनकी स्टिक में गोंद लगे होने की बात भी कही गई.
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