लखनऊःरविवार को राजधानी के विधानभवन से सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रतिमा तक पैदल मौन मार्च निकाला गया. बंटवारे के दौरान अपनों को खोने के दर्द को महसूस करने और सबको याद दिलाने की कोशिश करते इस मार्च का नेतृत्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे थे. उनके साथ में दोनों डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्य और पीछे मंत्रियों का समूह चल रहा था. साथ ही विभाजन की त्रासदी झेल चुके परिवारों के सदस्य मौन श्रद्धांजलि देते हुए चल रहे थे.
मार्च आगे बढ़ते हुए सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा तक पहुंचा. यहां सीएम योगी ने विभाजन के दंश को दर्शाती प्रदर्शनी का उद्घाटन किया. प्रदर्शनी में विभाजन की त्रासदी से जुड़ी तस्वीरें और उससे संबंधित जानकारियों को जनता के लिये प्रदर्शित किया गया था. मुख्यमंत्री ने दोनों डिप्टी सीएम के साथ प्रदर्शनी का अवलोकन किया.
विभाजन की त्रासदी झेल चुके परिवारों के सदस्यों ने सीएम से अपना दर्द भी बांटा. साथ ही बंटवारे के वक्त पाकिस्तान में अपना सर्वस्व छोड़कर यहां आए परिवारों ने उन वस्तुओं को भी सीएम को दिखाया, जिन्हें वे अपने साथ लेकर आए थे. किसी के पास अपनी मां की याद से जुड़े सामान, तो कोई पाकिस्तान से लेकर आए 1926 के बने बर्तनों को दिखा रहा था.
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भावुक कर देने वाली ये प्रदर्शनी सन् 1947 में हुई बर्बरता की याद तो दिला ही रही थी. साथ ही भारी कष्ट झेलकर पाकिस्तान से भारत आए शरणार्थी से पुरुषार्थी बने परिवारों के संघर्षों से भरी कहानी को भी बयां कर रही थी. आखिर में दोनों डिप्टी सीएम के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पहुंचे और राष्ट्रपिता को श्रद्धासुमन अर्पित किया.
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस बरेली में मनाया गया विभाजन विभीषिका कार्यक्रम
पूरे हिंदुस्तान में इन दिनों आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में बरेली के रुहेलखंड विश्वविद्यालय परिसर में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस समारोह का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम को पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय की तरफ से किया गया. इस कार्यक्रम में विभाजन के वक्त विभाजन का दर्द झेलने वाले बुजुर्गों और उनके परिजनों को बुलाया गया. इस कार्यक्रम में विभाजन के वक्त हिंदुस्तान के बरेली में आए सिख समाज और सिंधी समाज के उन लोगों को बुलाया गया था, जिन्होंने विभाजन का दर्द खुद झेला था और वह रिफ्यूजी के तौर पर उत्तर प्रदेश के बरेली में परिवार के सहित आकर बसे थे.
रविवार की शाम को आयोजित किए गए विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस में आए विभाजन के वक्त का दर्द झेलने वाले बुजुर्गों ने उस वक्त की परेशानियों को कार्यक्रम में साझा किया, जिसे सुनकर कार्यक्रम में मौजूद लोगों की आंखें भर आईं. कार्यक्रम में आए विभाजन का दर्द झेलने वाले लगभग 25 लोगों को शॉल और माला पहनाकर उनका सम्मान भी किया गया. विभाजन का दर्द झेलने वाले मदनलाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में आकर उन्हें काफी अच्छा लगा और इस कार्यक्रम के द्वारा यह पता चलता है कि सभी में देश के प्रति प्रेम की भावना जागृत है और सभी समान है उस वक्त के दर्द को हमने छैला और यहां आकर साझा किया.
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