लखनऊ: योगी सरकार में मंत्रियों और अफसरों के बीच की खींचतान सामने आ गई है. अफसर मंत्रियों को दिखाए बगैर मुख्यमंत्री के पास सीधे फाइल भेज दे रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों शासन के अधिकारियों के साथ हुई बैठक के दौरान निर्देश दिए हैं कि अफसर मंत्रियों से सामंजस्य बिठाकर ही काम करें. जनप्रतिनिधियों का सम्मान करें.
मंत्रियों और अफसरों में खींचतान आई सामने. भ्रष्टाचार को खत्म करें अफसर
सीएम योगी ने भ्रष्टाचार को लेकर भी मंत्रियों और अफसरों को निर्देशित किया है. उन्होंने कहा है कि जिन विभागों में भ्रष्टाचार हो रहा है, उसके बारे में उन्हें पूरी जानकारी है. अफसर इसे खत्म करें.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक के दौरान यह भी कहा कि प्रभारी मंत्री, अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव के स्तर पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए. ताकि इसका संदेश जनता तक जाए और उन्हें यह विश्वास हो कि सरकार में भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है.
जनप्रतिनिधियों का सम्मान करें अधिकारी
मुख्यमंत्री की चिंता जब मीडिया रिपोर्ट में आई तो सत्ता के गलियारे में चर्चा शुरू हो गई कि आखिर क्या वजह है जो अधिकारी मंत्रियों को बाईपास करके फाइलें भेज रहे हैं. वैसे यह पहला वाकया नहीं है. जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने इस प्रकार की बात आई है. इससे पहले भी विपक्ष ही नहीं, बल्कि सत्तापक्ष के विधायक भी अधिकारियों द्वारा खराब बर्ताव किए जाने को लेकर सदन में आवाज उठा चुके हैं. तब मुख्यमंत्री को यह निर्देश जारी करना पड़ा था कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों का पूरा सम्मान करें. उन्हें ठीक से सुनें और जनता की समस्याओं का निदान करें.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अपने मंत्रियों और अफसरों पर नियंत्रण नहीं रहा. सच तो यह है कि इस सरकार का इकबाल जनता के बीच समाप्त हो गया है.
-सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव, प्रशासन प्रभारी, कांग्रेस
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो कहा है, वह स्वागत योग्य है. उन्होंने संविधान के अनुरूप ही बात कही है. अफसरों को भी संविधान के अनुरूप काम करना चाहिए. मंत्रियों के माध्यम से ही फाइल भेजी जानी चाहिए.
-हरीश चंद श्रीवास्तव, प्रवक्ता, यूपी बीजेपी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह कदम बहुत पहले ही उठा लेना चाहिए. अगर मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों और पार्टी कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनेंगे. उन्हें विश्वास में नहीं लेंगे तो इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा. इसका असर आगामी चुनाव में पड़ सकता है. मुख्यमंत्री ने भले ही यह फैसला देर में लिया हो लेकिन अच्छा है. संगठन को इसका लाभ मिल सकताहै.
अनिल भारद्वाज, राजनीतिक विश्लेषक
ये भी पढ़ें:कांग्रेस की गंदी राजनीति का शिकार हैं 'आजादी के मतवाले': वसीम रिजवी