लखनऊ:सीएम योगी ने शुक्रवार को यहां लोकभवन में प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद को एक ट्रिलियन डॉलर किए जाने के लिए विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों, विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक, आईआईएम कंसलटेंट फॉर्म्स, पीडब्ल्यूसी के पीएसजी आदि से आमंत्रित सुझाव के प्रस्तुतीकरण को देखा. इसके बाद उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र और प्रदेश सरकार ने आधारभूत संरचना के विकास, कौशल विकास के जरिए रोजगार जैसे कई कदम उठाए हैं. इन कदमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए दो कैबिनेट और एक उच्च स्तरीय समितियां गठित की गई हैं.
सीएम योगी ने लोकभवन में बैठक की.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उप्र में देश की आबादी के करीब 17 फीसदी लोग रहते हैं, लेकिन देश की जीडीपी में इसका हिस्सा सिर्फ आठ फीसद से कुछ अधिक है. इसी गैप के नाते यहां संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं. इन संभावनाओं के बेहतर फायदे के लिए निवेशक आगे आएं, इसके लिए हमने हर क्षेत्र में नई और बेहतर पॉलिसी बनाई है.
सीएम योगी ने कहा कि कानून के राज को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. आधारभूत संरचना बेहतर करने के लिए प्रयास जारी है. इज ऑफ डूइंग बिजनेस में हमारी रैंकिंग सुधरी है. ढाई साल में प्रदेश के प्रति लोगों का नजरिया बदला है. सफलतम इन्वेस्टर्स समिति और दो ग्राउंड ब्रेक्रिंग सेरेमनी इसका सबूत है. लक्ष्य हासिल करने के लिए जरूरत के अनुसार हम समय-समय पर और भी सुधार करेंगे.
भारतीय प्रबंधन संस्थान लखनऊ, बेंगलुरु और अर्नेस्ट यंग ने अपने प्रस्तुतिकरण में यह बताया कि कैसे और किन उपायों से हम एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं. इनके मुताबिक इसे हासिल करने में 70 फीसदी भूमिका क्रियान्वयन की होगी. उन राज्यों (गुजरात, महाराष्ट्र) और देशों (चीन, बांग्लादेश, मलेशिया और सिंगापुर) से सीख लेनी होगी, जिन्होंने हाल के वर्षों में तेजी से प्रगति की है. मैन्युफैक्चरिंग, सेवा और कृषि प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देना होगा.
अन्य सुझाव इस प्रकार हैं
- संभावनाओं वाले क्षेत्रों की पहचान.
- बड़े शहरों के पास औद्योगिक क्लस्टरों का विकास.
- इन क्लस्टरों के अनुसार कौशल विकास.
- इनमें स्थानीय स्तर के शिक्षण संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग कालेज, प्रबंधन संस्थान और विश्वविद्यालयों का सहयोग और सुझाव.
- हर क्लस्टर के लिए एक मेयर या मुख्य कार्यपालक अधिकारी जैसे पद का सृजन.
- मुख्यमंत्री कार्यालय से लगातार निगरानी.
- हर लक्ष्य के लिए डेडलाइन का निर्धारण.
- अगर लक्ष्य नहीं हासिल हुआ तो कमियों को तलाश कर उनको दूर करना.
- इज ऑफ डुइंग बिजनेस की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाना.
- सुशासन, बेहतर आधारभूत संरचना और हर स्तर पर जिम्मेदारी तय करना और प्रभावी क्रियान्वयन आदि.