लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी ने शनिवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित कार्यक्रम में 571.57 करोड़ की लागत से निर्मित 220 केवी के दो और 132 केवी के नौ उपकेन्द्रों का लोकार्पण किया है. 1347.91 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाले 220 केवी के 10 व 132 केवी के छह उपकेन्द्रों का शिलान्यास किया है. इस मौके पर योगी ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए विद्युत क्षेत्र में 'आत्मनिर्भरता' की जरूरत है. आज के युग में बिजली, विकास के लिए मुख्य अवयव है. खेती -किसानी हो, उद्योग-धंधे हों, मेडिकल हो या फिर अध्ययन-अध्यापन, हर कहीं बिजली की जरूरत है.
प्रदेश में 24 घंटे निर्बाध बिजली की आपूर्ति का सपना जल्द ही साकार होने वाला है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि लगातार प्रयासों से प्रदेश में स्थापित पारेषण तंत्र की भार वहन क्षमता 25000 मेगावाट हो चुकी है. बीते चार सालों में इसमें 53 फीसदी तक इजाफा हुआ है. लॉकडाउन में जब लोग घर पर थे, तब बिजली की मांग भी बहुत थी. बावजूद इसके प्रदेश में सभी स्थान पर निर्बाध और पर्याप्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की गई. वर्तमान में लगभग 6100 करोड़ रुपये की लागत की पारेषण परियोजनाओं के कार्य पब्लिक - प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) पद्धति से कराया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने उपभोक्ताओं की हर छोटी-बड़ी समस्या के त्वरित निस्तारण के निर्देश देते हुए उपभोक्ताओं से समय से बिजली बिल जमा करने की अपील भी की है. उन्होंने कहा कि अगर हम ऐसा कर सके तो 24 घंटे बिजली आपूर्ति का सपना बहुत जल्द साकार होगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश के विद्युत पारेषण तंत्र के उत्तरोत्तर विकास की श्रृंखला की नवीनतम कड़ी में आज प्रदेश को 27 उपकेंद्रों का उपहार मिल रहा है. इससे अन्य उपकेंद्रों पर भार कम होगा. बिजली आपूर्ति और बेहतर होगी. नवलोकर्पित उपकेंद्र बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर अयोध्या, चित्रकूट, सीतापुर और मिर्जापुर जिले में स्थापित हैं, जबकि लखनऊ, वाराणसी, फतेहपुर, गोण्डा, झांसी, फर्रुखाबाद, आगरा, सहारनपुर, मेरठ, महराजगंज, भदोही, फिरोजाबाद, बस्ती, बांदा, बागपत, कुशीनगर में उपकेंद्रों का शिलान्यास किया गया.