लखनऊः यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सीएम योगी के सभी आलोचकों की बोलती बंद कर दी है. नतीजों के आने से पहले लोग अनुमान लगा रहे थे कि एसपी गठबंधन बीजेपी गठबंधन को कड़ी टक्कर देगी. कई लोग ये भी कह रहे थे कि सीएम योगी का नोएडा जाना भी उनकी पतन की वजह बन सकती है. लेकिन सीएम योगी ने इन सभी अंधविश्वासों को धता बताकर साबित कर दिया है कि ढकोसले बाजी से कुछ नहीं होता, कर्म ही प्रधान होता है.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार बनाते दिख रही है. शुरुआती रुझानों में बीजेपी ने बहुमत का जादुई आंकड़ा पार कर लिया है. जबकि सत्ता के गलियारों में चर्चा थी कि बीजेपी को समाजवादी पार्टी कड़ी टक्कर देगी. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. एसपी सुप्रीमो अखिलेश यादव का फार्मूला एक बार फिर से फेल साबित हुआ है.आकंड़ों पर नजर डाले तो नोएडा का मिथक भी बाबा के विश्वास को डिगा नहीं पाया और उनके आगे टूट गया.
योगी ने कहा था मैं तोड़ूंगा ये मिथक
अभी तक उत्तर प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि जो भी सीएम नोएडा आता है, उसे दोबारा सत्ता की कुर्सी नहीं मिलती है. इस बात को एक तरीके से चैलेंज लेते हुए सीएम योगी ने उस मिथक को तोड़ने की बात कही थी. बात करें पिछले 37 साल की तो अभी तक यूपी की राजनीति में कोई भी ऐसा नेता लगातार दो बार सीएम पद पर नहीं रह सका है. लेकिन योगी ने ऐसा कर अपने राजनीतिक रसूख को और भी ऊंचा कर दिया है.
नोएडा मिथक भी फेल
जनसंख्या के लिहाज से भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की सियासत में तीन दशक से एक और मिथक बना हुआ था. वो ये है कि जो भी सीएम नोएडा आता है, उसकी कुर्सी चली जाती है. वो दोबारा सत्ता की कुर्सी पर नहीं बैठता. ये मिथक उत्तर प्रदेश में 1988 से बना हुआ है, जब पहली बार तत्कालीन सीएम वीर बहादुर सिंह नोएडा आए और अगला चुनाव वो हार गए. उनके बाद नारायण दत्त तिवारी सीएम बने और 1989 में नोएडा के सेक्टर 12 में नेहरू पार्क उद्धाटन करने गये. इसके कुछ ही समय बाद उनकी कुर्सी चली गई.