लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने शुक्रवार को अयोध्या शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित 'भारतीय भाषाओं में रामकथा' पुस्तकों का विमोचन किया. शोध संस्थान ने 'भारतीय भाषाओं में रामकथा' (चार खंड) प्रकाशित किये हैं, जिनमें अवधी, पहाड़ी, बुंदेली, पंजाबी, संस्कृत भाषा शामिल हैं. यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित किया गया था.
कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश की 17 भाषाओं में अलग-अलग खण्ड में भगवान राम की स्मृतियों को 4 भागों में प्रकाशित करने के लिए प्रकाशन को धन्यवाद देता हूं. अयोध्या शोध संस्थान के माध्यम से भारत भर में भगवान राम की लीला के संकलन का कार्य किया गया है. भगवान राम को जिसने जिस रूप और जिस भाव से भजा है, उसका परिणाम भी उसे उसी रूप में मिला है. सीएम ने कहा कि बाल्मीकि जी ने राम को रचा तो वो त्रिकालदर्शी और महर्षि हो गए और हनुमान जी ने साधना की तो वो लोकदेवता हो गए. वहीं मरीचि और रावण इसके दो दूसरे उदाहरण हैं, जिन्होंने रामद्रोह किया तो उनकी भी स्थिति सामने है. ज्ञानी होते हुए भी आज रावण के पुतले जलाए जाते हैं.
भारतीय भाषाओं में रामकथा पुस्तकों का विमोचन.
सीएम योगी ने कहा कि धर्म एक शाश्वत व्यवस्था है. देश काल परिस्थिति में एक व्यवस्था के साथ जोड़ती है. इसी व्यवस्था से व्यक्ति और समाज टिका हुआ है. इसमें उपासना विधि नहीं जुड़ी है. उपासना विधि व्यक्ति की इच्छा पर है, लेकिन धर्म तो एक ही है. धर्म कोई है तो वो राम हैं, इसे वाल्मीकि जी ने हजारों वर्ष पहले कह दिया और बाद में कलियुग में उसी बात को उनके अवतार तुलसीदास जी ने कह दिया. उन्होंने कहा कि अयोध्या में आज भगवान राम का मंदिर बन रहा है, इसलिए ये प्रकाशन और भी प्रासंगिक हो जाता है. दुनिया के हर भारतवंशी ने 5 अगस्त 2020 के दिन को अंगीकार किया और दीवाली मनायी, यही राम की महत्ता है. उन्होंने कहा कि पहले जो राम कृष्ण को काल्पनिक मानते थे, आज वो वाकई अयोध्या का टिकट कटवा रहे हैं, लेकिन कोरोना काल में दूरदर्शन पर रामायण को लोगों ने फिर से जिया है. यानी राम आज भी टीआरपी के लिए प्रभावी हैं. हर भारतवासी उनसे खुद को जोड़ता है, यही तो राम की महिमा है. आज उन्हीं राम की महिमा को फिर से यहां जीवंत किया गया.
उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया, थाईलैंड आज भी भगवान राम को अपना वंशज और पूर्वज मानते हैं. साउथ कोरिया के लोग भी मानते हैं कि उनका अस्तित्व अयोध्या से है और यही सांस्कृतिक कार्यक्रम दुनिया से भारत को जोड़ने में सहायक होंगे. दुनिया के अंदर पहला ग्रंथ महर्षि वाल्मीकि ने ही लिखा था. उन्होंने कहा कि हमारा दायित्व बनता है कि भगवान राम पर शोध करें और उनका संकलन करें. उन्होंने कहा कि आज के विमोचन के इस कार्यक्रम के लिए धन्यवाद देता हूं. साथ ही हम अयोध्या में भव्य दीपोत्सव करने में सफल होंगे.
वहीं विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि श्रीराम भारत की पहचान और संस्कृति हैं. राम इस देश की प्राण हैं. इस देश में राजनीतिक रूप से काम करने वाले लोग और कुछ दिल्ली के पढ़े-लिखे लोग राम के नाम से चिढ़ते थे, काल्पनिक मानते थे, लेकिन अब योगी आदित्यनाथ की सरकार और नेतृत्व का असर है कि वे लोग अयोध्या का टिकट कटवाने लगे हैं और राम का नाम ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि राम पूरी दुनिया में आदर्श पुरूष के रूप में अकेले हैं. बाल्मीकि जी ने इसे उद्धृत किया है. राम हमारे वैचारिक व्यवस्थाओं के आदर्श हैं.