लखनऊ :सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को सड़क सुरक्षा के संबंध में अफसरों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की. साथ ही जरूरी दिशा निर्देश दिए. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक का जीवन अमूल्य है. एक व्यक्ति के असामयिक निधन से पूरा परिवार प्रभावित होता है. यह अत्यंत दुःखद है कि प्रति वर्ष बहुत से लोग थोड़ी सी असावधानी के कारण सड़क दुर्घटनाओं में असमय काल-कवलित हो जाते हैं. यह क्षति न हो इसके लिए हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी.
सीएम ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अंतर्विभागीय समन्वय के साथ वृहद अभियान चलाया जाना जरूरी है. एक टीम के रूप में बेहतर कार्ययोजना तैयार की जाए. इसमें सड़क सुरक्षा के विभिन्न घटकों जैसे रोड इंजीनियरिंग, प्रवर्तन कार्य, ट्रामा केयर और जनजागरूकता को समाहित किया जाना उचित होगा. यह कार्ययोजना अगले 06 दिन में तैयार कर की जाए. कहा कि अभियान प्रारंभ करने से पूर्व वह स्वयं प्रदेश के सभी 734 नगरीय निकायों से संवाद करेंगे.
यह भी पढ़ें-झांसी विकास प्राधिकरण ने अवैध जमीन पर चलाया बुलडोजर
सीएम ने कहा कि अभियान के प्रथम चरण में एक सप्ताह में हमारा जोर जागरूकता पर हो. सड़क सुरक्षा के संबंध में व्यापक जन-जागरूकता के कार्यक्रम संचालित किए जाएं. पब्लिक एड्रेस सिस्टम का अधिकाधिक प्रयोग किया जाना चाहिए. स्कूली बच्चों द्वारा जागरूकता विषयक प्रभात फेरी निकाली जानी चाहिए. इस अभियान के उपरांत त्रैमासिक सड़क सुरक्षा सप्ताह का कार्यक्रम सतत जारी रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि सड़कों पर अतिक्रमण की समस्या को समाप्त करना होगा.
सीएम ने ये निर्देश भी दिए
- प्रदेश में सड़क दुर्घटना से मृत्यु की दर में कमी के लिए बड़े पैमाने पर कार्य करने की आवश्यकता है. इसके लिए प्रदेश में उच्च शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा के सभी विद्यालयों में 'रोड सेफ्टी क्लब' का गठन करने की दिशा में कार्रवाई तेज करें.
- प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में अनफिट/बिना परमिट के स्कूली बसों का संचालन नहीं होगा.
- बेसिक और माध्यमिक स्कूलों में बच्चों को यातायात नियमों के पालन के लिए विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है. ट्रैफिक नियमों के
- पालन का संस्कार बच्चों को शुरुआत से ही दी जानी चाहिए. यातायात नियमों के संबंध में प्रधानाचार्यों/प्राचार्यों/विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण कराया जाए. अभिभावकों के साथ भी विद्यालयों में बैठक हो.
- पूर्णतः प्रशिक्षित लोग ही सड़क पर वाहन चलाए. ड्राइविंग टेस्टिंग प्रणाली के आइटोमेशन की आवश्यकता है. सभी जिलों में ड्राइविंग टेस्टिंग एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट की स्थापना के प्रयास हो. जनपदों में ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक का विकास किया जाए.
- वाहन चालान से जुड़े लंबित प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण के लिए लोक अदालतों का माध्यम अपनाया जाना उचित होगा.
- यातायात विभाग को सशक्त बनाने के लिए पुलिस रेगुलेशन में यथाआवश्यक संशोधन की कार्रवाई की जाए. हर जिले में यातायात विभाग के पास कम से कम 01 इंटरसेप्टर जरूर हों.
- यातायात विभाग के उच्च अधिकारी फील्ड विजिट करें. शहरों में यातायात प्रबंधन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का आकलन करें. स्थिति को बेहतर करने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ संवाद करें. नगर विकास विभाग द्वारा बरसात से पूर्व नालों की सफाई करा ली जाए.
- हर मेडिकल कॉलेज में न्यूनतम 30 बेड के इमरजेंसी ट्रॉमा केयर सेंटर के विकास किया जाना जरूरी है. इस दिशा में प्राथमिकता के साथ कार्य किया जाए.
- लखनऊ में यातायात प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान की स्थापना के लिए प्रक्रिया शुरू की जाए. ट्रैफिक पुलिस के साथ यथावश्यक सिविल पुलिस और होमगार्ड के जवानों को जोड़ा जाए.
- राजमार्गों और एक्सप्रेस-वे पर ओवरस्पीड के कारण आए दिन दुर्घटनाओं की सूचना मिलती है. ऐसे में ब्लैक स्पॉट के सुधारीकरण, स्पीड मापन, त्वरित चिकित्सा सुविधा, सीसीटीवी आदि व्यवस्था को और बेहतर करने की जरूरत है. सम्बंधित प्राधिकरणों को इस दिशा में गंभीरता से विचार करते हुए कार्य करना होगाय. यह सुनिश्चित किया जाए कि राजमार्गों पर ट्रकों की कतारें न लगें. एम्बुलेंस रिस्पॉन्स टाइम को और कम करने की जरूरत है.
- वहीं, सीएम ने आगे कहा कि विभिन्न आकलन के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में सर्वाधिक 33% दो पहिया वाहन चालकों से जुड़े होते हैं. 38% दुर्घटनाओं का कारण ओवरस्पीड, 9% वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना और करीब 6.6% दुर्घटनाएं नशे में वाहन चलाने के कारण होती हैं. उन्होंने कहा कि सतत जागरूकता के कारण वर्ष 2018 के बाद से सड़क दुर्घटनाओं में कमी देखी जा रही है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप