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स्वामी विवेकानंद की जयंती पर हुआ शास्त्रीय गायन

लखनऊ में निराला नगर स्थित रामकृष्ण मठ में चल रहे स्वामी विवेकानंद के 159वीं जयंती समारोह में डाॅ. बीजू कुमार भगवती का शास्त्रीय गायन हुआ. जयन्ती समारोह कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी और कोविड प्रोटोकॉल साथ मनाया जा रहा है. कार्यक्रम का मठ के यूट्यूब चैनेल ‘रामकृष्ण मठ लखनऊ’ पर सीधा प्रसारण भी किया गया.

शास्त्रीय गायक का संक्षिप्त परिचय
शास्त्रीय गायक का संक्षिप्त परिचय

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Published : Feb 7, 2021, 12:46 PM IST

लखनऊ: निराला नगर स्थित रामकृष्ण मठ में चल रहे स्वामी विवेकानंद के 159वीं जयंती समारोह में शनिवार को डाॅ. बीजू कुमार भगवती कि शास्त्रीय गायन हुआ. जयन्ती समारोह कोविड प्रोटोकॉल के तहत मनाया जा रहा है. जयंती कार्यक्रम मठ के यूट्यूब चैनेल ‘रामकृष्ण मठ लखनऊ’ पर सीधा प्रसारण भी किया गया.

अंबेडकर राष्ट्रीय फैलोशिप पुरस्कार

ये बंदिशें प्रस्तुत कीं

डॉ. भगवती ने झूमरा ताल, विलम्बित लय में रचना करम करो कृपाल दयाला और मध्य में तीनताल में ‘मंदार बाजे’ की प्रस्तुति दी. राग बहार और तीन ताल में दो रचनाएं तीन ताल में ’डाल डाल पात पात’ और सूरदास के दो भजन ’आब की टेक हमरी’ और तुलसीदास का भजन 'मन राम चरण’ की मनमोहक प्रस्तुति दी गई. उनके साथ तबले पर सारंग पाण्डे ने, हारमोनियम पर प्रमोद कुमार उपाध्याय एवं सारंगी पर जीशान अब्बास ने संगत की.

शास्त्रीय गायक का संक्षिप्त परिचय

डॉ. बीजू कुमार भगवती का जन्म और पालन-पोषण असम के ऐतिहासिक शहर शिवसागर में हुआ. डॉ. बीजू कुमार भगवती ने रतुल ककोटी के कुशल मार्गदर्शन में अपनी संगीत यात्रा शुरू की. बाद में उन्होंने लखनऊ आकर स्वर्गीय पं. एसएस अवस्थी, पंडित प्रसेनजित देवघरिया और पंडित आलोक चटर्जी जैसे कई प्रख्यात गुरुओं से संगीत की शिक्षा प्राप्त की. वर्तमान में वह आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी, कोलकाता के पूर्व निदेशक, पं.अमित मुखर्जी के मार्गदर्शन में संगीत सीख रहे हैं.

अंबेडकर राष्ट्रीय फैलोशिप मिली

संगीत में पीएचडी, डॉ. बीजू कुमार भगवती ने कई किताबें लिखी हैं और संगीत पर उनके कई शोध पत्र और लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं और ख्याति प्राप्त पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं. वह संस्कृति मंत्रालय के तहत, सीसीआरटी द्वारा संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट व्यक्तियों के लिए वरिष्ठ फैलोशिप के प्राप्तकर्ता हैं. वर्ष 2015-16 के लिए उन्हें भारतीय दलित साहित्य अकादमी, दिल्ली द्वारा डॉ. अंबेडकर राष्ट्रीय फैलोशिप पुरस्कार- 2020 के लिए भी चुना गया है. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया. उपस्थित सभी भक्तों के बीच प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम समाप्त किया गया.

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