लखनऊ : उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर पिछड़े वर्ग आयोग का गठन किया गया था. एक्स एक्स एक्स के आधार पर यह पिछड़ा वर्ग आयोग उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में अपना सर्वे पूरा कर चुका है. ट्रिपल टेस्ट के आधार पर सभी आरक्षण तय किए जा चुके हैं. 31 मार्च तक आरक्षण की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में रखी जानी है. इससे पहले इसको उत्तर प्रदेश की कैबिनेट में अनुमोदन के लिए रखा जाएगा. जल्द ही अनुमोदन होने की संभावना है.
UP Civic Elections : पिछड़ा वर्ग आयोग का सर्वे पूरा, कैबिनेट में जल्द रखा जाएगा आरक्षण का प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव (UP Civic Elections) पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गठित पिछड़ा वर्ग आयोग ने यूपी के सभी 75 जिलों में सर्वे पूरा कर लिया है. आयोग ने ट्रिपल टेस्ट के आधार पर सभी आरक्षण तय कर लिए हैं. अब आरक्षण रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में रखने से पहले प्रस्ताव उत्तर प्रदेश की कैबिनेट में अनुमोदन के लिए रखा जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में ट्रिपल टेस्ट के आधार पर सीटों के आरक्षण की व्यवस्था दी थी. यूपी में इसके बाद वर्ष 2012 और 2017 में पुरानी व्यवस्था के आधार पर निकाय चुनाव हुए थे. अब ट्रिपल टेस्ट की व्यवस्था को अधिनियम में शामिल करने की तैयारी चल रही है. इसके लागू होने पर इस साल चुनाव के लिए नगर विकास विभाग द्वारा जारी दोनों आरक्षण को शून्य मान लिया जाएगा. इस वर्ष होने वाले चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के आधार पर पिछड़ों के लिए हिस्सेदारी तय करते हुए सीटों का आरक्षण किया जाएगा. पिछड़ा वर्ग आयोग ने सभी 75 जिलों की सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली है. जल्द ही यह मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी. इस रिपोर्ट के आधार पर पिछड़ों की हिस्सेदारी तय की जाएगी.
स्थानीय निकाय निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि प्रदेश सरकार आगामी नगर निकाय चुनाव को देखते हुए नगर निगम और पालिका परिषद अधिनियम में संशोधन करने की तैयारी कर रही है. इसके लिए नगर विकास विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है. जिसे जल्द कैबिनेट में रखा जाएगा. संशोधन में निकाय चुनाव में सीटों का आरक्षण ट्रिपल टेस्ट के आधार पर करने का प्रावधान शामिल किया जाएगा. ऐसा होने पर मेयर और अध्यक्ष की सीटों का आरक्षण पूरी तरह से बदल जाएगा.
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